केंद्र की नीति के तहत प्रदर्शनकारी किसानों पर दर्ज FIR वापस लेने की प्रक्रिया में तेजी की मांग पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने DGP से मांगा जवाब
Amir Ahmad
30 July 2025 2:58 PM IST

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक (DGP) केंद्र सरकार और अन्य अधिकारियों से किसानों द्वारा दायर याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें 2021 में जारी केंद्र सरकार की नीति के अनुसार, प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज FIR वापस लेने के लिए गृह मंत्रालय को अनापत्ति प्रमाण पत्र भेजने का निर्देश देने की मांग की गई।
जस्टिस जसजीत सिंह बेदी ने अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए कहा,
"यह एक छोटी सी बात है, की जा सकती है।"
28 किसानों ने हाईकोर्ट का रुख करते हुए कहा कि 2020 में लागू किए गए तीन कृषि कानूनों जिन्हें बाद में किसान कानून निरसन अधिनियम 2021 के माध्यम से निरस्त कर दिया गया था, उनके खिलाफ देशव्यापी किसान आंदोलन के जवाब में केंद्र सरकार न केवल कानूनों को निरस्त करने पर सहमत हुई बल्कि प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामले और एफआईआर भी वापस लेने पर सहमत हुई थी।
याचिका में कहा गया कि इसके अनुसरण में भारत सरकार द्वारा दिनांक 09.12.2021 को निर्देश जारी किया गया, जिसमें संबंधित राज्य सरकारों को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 321 के तहत ऐसी FIR वापस लेने की शक्तियां सौंपी गईं।
इसमें आगे कहा गया कि इस निर्देश के बाद हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों सहित विभिन्न राज्यों ने वापसी की प्रक्रिया शुरू की और याचिकाकर्ताओं ने उसी समझ के आधार पर 2022 में चंडीगढ़ के सीनियर पुलिस अधीक्षक को अभ्यावेदन दिया।
याचिकाकर्ताओं ने कहा,
हालांकि वापसी की प्रक्रिया इसलिए रुकी हुई थी, क्योंकि केंद्र सरकार को अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) नहीं दिया गया।
याचिका में कहा गया,
"बार-बार अनुवर्ती कार्रवाई और ढाई साल से अधिक की देरी के बावजूद अधिकारी कार्रवाई करने में विफल रहे हैं। यह कार्रवाई न करना संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और केंद्र सरकार द्वारा किए गए वादे को विफल करता है।"
मामला अब आगे विचार के लिए 18 अगस्त के लिए सूचीबद्ध है।
केस टाइटल: कृपाल सिंह एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य

