यदि पेंशन की अतिरिक्त राशि को उचित जानकारी के साथ स्वीकार किया जाता है तो उसकी वसूली पर आपत्ति जताना जायज नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट

Amir Ahmad

11 Jun 2024 7:24 AM GMT

  • यदि पेंशन की अतिरिक्त राशि को उचित जानकारी के साथ स्वीकार किया जाता है तो उसकी वसूली पर आपत्ति जताना जायज नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने कहा कि यदि पेंशनभोगी द्वारा उचित जानकारी के साथ अतिरिक्त राशि स्वीकार की जाती है तो न केवल उक्त राशि को बाद में वसूला जा सकता है बल्कि अतिरिक्त राशि की वसूली पर आपत्ति जताना भी जायज नहीं।

    जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी ने कहा,

    "प्रत्येक नागरिक अधिकार का दावा करता है लेकिन कोई भी दायित्व का निर्वहन करने के लिए तैयार नहीं है। एक बार जब नागरिक को पता चल जाता है कि उसे उसके हक से अधिक राशि का भुगतान किया जा रहा है तो उसे दिए गए उक्त अतिरिक्त भुगतान को संबंधित अधिकारियों के ध्यान में लाया जाना चाहिए था।"

    ये टिप्पणियां विधवा द्वारा दायर याचिका के जवाब में की गईं, जिसमें राज्य अधिकारियों द्वारा पारिवारिक पेंशन से 6.36 लाख रुपये की वसूली को चुनौती दी गई।

    याचिकाकर्ता के पति हुकम चंद जो हरियाणा रोडवेज विभाग में लोहार के पद पर कार्यरत थे, वर्ष 2000 में सेवानिवृत्त हुए तथा वर्ष 2021 में उनकी मृत्यु हो गई।

    याचिकाकर्ता को सात वर्षों की अवधि के लिए बढ़ी हुई पारिवारिक पेंशन का भुगतान किया जा रहा था, जिसे घटाकर सामान्य पारिवारिक पेंशन किया जाना था। तत्पश्चात पेंशन भुगतान आदेश के अनुसार याचिकाकर्ता को सूचित किया गया कि पारिवारिक पेंशन की बढ़ी हुई दर 12.05.2001 से 11.05.2008 तक देय होगी तथा उसके पश्चात याचिकाकर्ता को 12.05.2008 से सामान्य दरों पर पारिवारिक पेंशन जारी की जाएगी।

    अनजाने में याचिकाकर्ता को 31.08.2021 तक बढ़ी हुई पेंशन मिलती रही, जिससे उसे पात्रता से अधिक 6,22,520 रुपये की राशि प्राप्त हुई।

    प्रतिवादियों का मामला यह था कि जब प्रतिवादियों द्वारा उक्त विसंगति का पता चला तो याचिकाकर्ता को अतिरिक्त राशि की वापसी के लिए कानूनी नोटिस दिया गया था और उसे व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए भी कहा गया, लेकिन उसने उक्त अवसर का लाभ नहीं उठाया और अंततः 12.05.2008 से 31.10.2021 तक की अवधि के लिए 6,36,386/- रुपये की अतिरिक्त राशि की वसूली शुरू की गई।

    यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता को दो बार कारण बताओ नोटिस जारी किया गया लेकिन वह कोई जवाब दाखिल करने में विफल रही।

    याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि एक बार प्रतिवादियों द्वारा याचिकाकर्ता को बिना किसी गलत बयानी के अतिरिक्त राशि का भुगतान कर दिया गया तो याचिकाकर्ता की ओर से कोई राशि वसूल नहीं की जा सकती।

    न्यायालय ने कहा,

    "याचिकाकर्ता को बढ़ी हुई पारिवारिक पेंशन दिए जाने से पहले उसे सूचित किया गया कि 12.05.2001 से 11.05.2008 तक 7 वर्षों की अवधि के लिए याचिकाकर्ता को बढ़ी हुई पारिवारिक पेंशन का भुगतान किया जाएगा। उसके बाद सामान्य दर पर पारिवारिक पेंशन का भुगतान किया जाएगा।"

    जब उक्त नियम और शर्तें याचिकाकर्ता के ध्यान में लाई गईं तो उसे 12.05.2008 से शुरू होने वाले उसके हक से अधिक राशि के भुगतान पर आपत्ति करनी चाहिए थी और प्रतिवादियों को इसके बारे में सूचित करना चाहिए था।

    न्यायालय ने कहा,

    "यह जानते हुए भी कि वह 7 वर्षों की अवधि के बाद बढ़ी हुई पेंशन के लिए हकदार नहीं थी, उसने 13 वर्षों की अवधि के लिए इसे प्राप्त करना जारी रखा। प्रत्येक नागरिक अधिकार का दावा करता है लेकिन कोई भी दायित्व का निर्वहन करने के लिए तैयार नहीं है। जब नागरिक को पता चला कि उसे उसके हक से अधिक राशि का भुगतान किया जा रहा है तो उसे दिए गए उक्त अतिरिक्त भुगतान को संबंधित अधिकारियों के ध्यान में लाया जाना चाहिए था।”

    जस्टिस सेठी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि ऐसा नहीं है कि याचिकाकर्ता को कभी पता ही नहीं चला कि उसे उसके हक से अधिक पैसे दिए जा रहे हैं।

    इसमें यह भी कहा गया कि दो बार अवसर दिए जाने के बावजूद याचिकाकर्ता ने कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल नहीं किया।

    उपरोक्त के आलोक में याचिका खारिज कर दी गई।

    केस टाइटल- तारावंती बनाम हरियाणा राज्य और अन्य

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