पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कथित गैंगस्टर की प्रत्यर्पण अधिनियम के तहत छूट की याचिका खारिज की, कहा- उसे भारत आने के 2 साल बाद गिरफ्तार किया गया

Amir Ahmad

22 Jan 2025 3:01 PM IST

  • पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कथित गैंगस्टर की प्रत्यर्पण अधिनियम के तहत छूट की याचिका खारिज की, कहा- उसे भारत आने के 2 साल बाद गिरफ्तार किया गया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कथित कुख्यात गैंगस्टर सुखप्रीत सिंह धालीवाल (बुड्डा) को प्रत्यर्पण अधिनियम 1962 के तहत छूट देने से इनकार किया, क्योंकि न्यायालय ने पाया कि उसे आर्मेनिया अधिकारियों द्वारा रिहा किए जाने के बाद IGI हवाई अड्डे (नई दिल्ली) पर गिरफ्तार किया गया था।

    प्रत्यर्पण अधिनियम की धारा 21 के अनुसार जब भी कोई व्यक्ति किसी ऐसे अपराध का आरोपी या दोषी पाया जाता है, जो भारत में किए जाने पर प्रत्यर्पण अपराध होता उसे किसी विदेशी राज्य द्वारा आत्मसमर्पण या वापस किया जाता है तो ऐसे व्यक्ति को जब तक उसे बहाल नहीं कर दिया जाता है या उसे उस राज्य में लौटने का अवसर नहीं मिल जाता है तब तक भारत में किसी अन्य अपराध के लिए मुकदमा नहीं चलाया जाएगा -

    (1) वह प्रत्यर्पण अपराध जिसके संबंध में उसे आत्मसमर्पण या वापस किया गया।

    (2) उसके आत्मसमर्पण या वापसी को सुरक्षित करने के उद्देश्य से साबित तथ्यों द्वारा प्रकट किया गया कोई छोटा अपराध, सिवाय उस अपराध के जिसके संबंध में उसके आत्मसमर्पण या वापसी का आदेश कानूनी रूप से नहीं दिया जा सकता।

    (3) वह अपराध जिसके संबंध में विदेशी राज्य ने अपनी सहमति दी है।

    जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने कहा,

    “विदेश मंत्रालय के उप सचिव (प्रत्यर्पण) द्वारा दिनांक 01.12.2021 को दायर हलफनामे से पुष्टि होती है कि याचिकाकर्ता को 22.11.2021 को इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, नई दिल्ली पहुंचने पर गिरफ्तार कर लिया गया। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता को हिरासत अवधि समाप्त होने पर अर्मेनियाई अधिकारियों द्वारा रिहा कर दिया गया और दो साल बाद उसके आगमन पर भारत में गिरफ्तार कर लिया गया। चूंकि याचिकाकर्ता को भारत संघ द्वारा कभी भी भारत प्रत्यर्पित नहीं किया गया। वह अपनी इच्छा से देश में प्रवेश किया, इसलिए प्रत्यर्पण अधिनियम, 1962 की धारा 21 की कठोरता उसकी सहायता नहीं करती है।”

    ये टिप्पणियां बुड्डा द्वारा दायर याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई करते हुए की गईं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे 20 से अधिक आपराधिक मामलों में शामिल हैं। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने तर्क दिया कि उन्हें विशेष रूप से मोहाली के फेज I पुलिस स्टेशन में दर्ज एक FIR (14 अप्रैल, 2018 की FIR नंबर 64) में अपराधों के लिए भारत प्रत्यर्पित किया गया। हालांकि पंजाब पुलिस उन पर अन्य आपराधिक मामलों में मुकदमा चला रही है, जो प्रत्यर्पण अधिनियम की धारा 21 के प्रावधानों का उल्लंघन है।

    दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा कि येरेवन कोर्ट के फैसले के अनुसार, उन्हें 30 दिनों के लिए अस्थायी रूप से हिरासत में लिया गया। इसके बाद 3 सितंबर, 2019 को राजनयिक चैनलों के माध्यम से प्रत्यर्पण अनुरोध प्राप्त हुआ और कार्यवाही शुरू की गई, जिसके परिणामस्वरूप 21 सितंबर, 2019 से दो महीने की हिरासत का आदेश दिया गया, यह आगे उल्लेख किया गया।

    जस्टिस बरार ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आर्मेनिया गणराज्य के विदेश मंत्रालय से 1 नवंबर, 2024 को जारी संचार से संकेत मिलता है कि 22 नवंबर, 2019 को प्रत्यर्पण उद्देश्यों के लिए हिरासत अवधि समाप्त होने पर याचिकाकर्ता को उनकी हिरासत से रिहा कर दिया गया। बाद में उसी दिन आर्मेनिया छोड़ दिया गया।

    हाईकोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता को हिरासत अवधि समाप्त होने पर अर्मेनियाई अधिकारियों द्वारा रिहा कर दिया गया। उसके आगमन पर दो साल बाद भारत में गिरफ्तार किया गया।

    उपरोक्त के आलोक में न्यायालय ने माना कि वर्तमान याचिकाओं में कोई और निर्देश पारित करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वे किसी भी योग्यता से रहित हैं।

    केस टाइटल: सुखप्रीत सिंह धालीवाल @ बुद्ध बनाम भारत संघ और अन्य

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