राज्य-जनित अन्याय: 9 महीने अतिरिक्त हिरासत में रखने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने व्यक्ति को 3 लाख रुपये मुआवज़ा देने का आदेश
Amir Ahmad
22 April 2025 10:07 AM

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नशीले पदार्थों के मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को उसकी सजा अवधि से 9 महीने अधिक हिरासत में रखने पर 3 लाख रुपये का मुआवज़ा देने का आदेश दिया।
अदालत ने कहा,
"ऐसे उल्लंघन केवल प्रशासनिक चूक नहीं हैं बल्कि ये संविधान की अनदेखी के गंभीर उदाहरण हैं, जिनके लिए जवाबदेही तय होना जरूरी है।"
जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने कहा कि राज्य द्वारा किसी व्यक्ति को अदालत द्वारा तय सजा से अधिक समय तक हिरासत में रखना न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि यह न्याय प्रणाली में विश्वास को भी हिला देता है।
मामले का संक्षेप विवरण:
सतनाम सिंह जिसे 2006 में NDPS Act की धारा 15 के तहत 1 साल 6 महीने की सजा सुनाई गई थी, उसने 2 साल 3 महीने और 29 दिन जेल में बिताए। कोर्ट ने यह पाया कि जुर्माना न देने की सूरत में 3 महीने की अतिरिक्त सजा जोड़ने के बाद भी उसकी अधिकतम सजा 1 साल 9 महीने होनी चाहिए थी। लेकिन उसे उससे कहीं अधिक समय तक हिरासत में रखा गया।
कोर्ट ने कहा,
"राज्य जब खुद नागरिकों की स्वतंत्रता का उल्लंघन करने लगे तो वह एक खतरनाक मिसाल बन जाती है। ऐसी स्थिति में मुआवजा देना पर्याप्त नहीं है बल्कि सिस्टम में सुधार की ज़रूरत है।"
कोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) की निष्क्रियता पर भी नाराज़गी जताई और कहा कि सिस्टम की नाकामी की कीमत गरीब और अशिक्षित लोगों को चुकानी पड़ती है।
कोर्ट ने माना कि यदि सतनाम सिंह की आर्थिक स्थिति बेहतर होती तो वह या उसके परिवार वाले समय पर वकील करके उसकी रिहाई सुनिश्चित कर सकते थे। लेकिन आर्थिक तंगी ने उसे जेल अधिकारियों के रहमो-करम पर छोड़ दिया।
अदालत ने सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम सीबीआई केस (2022) का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने अनावश्यक गिरफ्तारी और गैरज़रूरी हिरासत से बचने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए।
कोर्ट ने 3 लाख रुपये का मुआवज़ा राज्य सरकार को 8 हफ्तों के भीतर भुगतान करने का आदेश दिया। साथ ही कहा कि यह राशि दोषी अधिकारियों से वसूलने की स्वतंत्रता राज्य के पास रहेगी।
साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि सतनाम सिंह चाहे तो अलग से सिविल कार्रवाई कर सकता है।