Nuh Demolition | हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान मामले में मुआवजे, हस्तक्षेप आवेदन की मांग वाली याचिका पर हरियाणा सरकार से जवाब मांगा

Shahadat

3 May 2024 6:06 AM GMT

  • Nuh Demolition | हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान मामले में मुआवजे, हस्तक्षेप आवेदन की मांग वाली याचिका पर हरियाणा सरकार से जवाब मांगा

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नूंह जिले में हरियाणा सरकार द्वारा विध्वंस अभियान चलाए जाने के बाद उठाए गए सुओ मोटो मामले में मुआवजे की मांग करने वाली रिट याचिकाओं और दायर 8 हस्तक्षेप आवेदनों पर हरियाणा सरकार से जवाब मांगा।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और जस्टिस लापीता बनर्जी की खंडपीठ स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसके तहत अगस्त 2023 में सांप्रदायिक झड़पों के बाद नूंह में विध्वंस पर रोक लगा दी गई थी।

    मामले में नियुक्त एमिक्स क्यूरी एडवोकेट क्षितिज शर्मा ने अदालत को अवगत कराया कि सुओ मोटो मामले में 8 हस्तक्षेप आवेदन और 3 संबंधित याचिकाएं दायर की गईं।

    आवेदन में समाचार पत्रों के लेखों और तस्वीरों का हवाला देते हुए हिंसा के बारे में प्रस्तुतियां देने का अनुरोध शामिल है। दावा किया गया कि विध्वंस अभियान से पहले सरकार द्वारा कोई नोटिस जारी नहीं किया गया।

    एक अन्य आवेदन में हाईकोर्ट के उस आदेश पर सवाल उठाया गया, जिसके तहत विध्वंस अभियान पर रोक लगा दी गई थी। इस आधार पर कि जिन समाचार पत्रों के लेखों पर न्यायालय ने भरोसा किया था वे तथ्यात्मक रूप से सही नहीं थे।

    न्यायालय ने घरों के कथित "गैरकानूनी विध्वंस" के लिए मुआवजे की मांग करने वाली दो रिट याचिकाओं पर सरकार को नोटिस भी जारी किया।

    एडिशनल एडवोकेट जनरल दीपक सभरवाल ने प्रस्तुत किया कि हस्तक्षेप आवेदनों और रिट याचिकाओं के लिए "विस्तृत जवाब दाखिल किया जाएगा"। सभरवाल ने इसके लिए 4 सप्ताह का समय भी मांगा।

    अंतिम कार्यवाही में एमिक्स क्यूरी एडवोकेट क्षितिज शर्मा ने हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि हरियाणा सरकार ने विध्वंस अभियान से पहले निवासियों को जो नोटिस जारी किए, वे "विश्वास को प्रेरित नहीं करते हैं।"

    शर्मा ने हाईकोर्ट को बताया,

    "जारी किए गए सभी नोटिस एक जैसे दिखते हैं, यह स्पष्ट नहीं है कि विध्वंस से पहले कितना समय दिया गया, इसे घर पर चिपकाया गया या नहीं...नोटिस विश्वास पैदा नहीं करते हैं।"

    न्यायालय ने विभिन्न वकीलों और विध्वंस के कथित पीड़ितों द्वारा दायर हस्तक्षेप आवेदनों पर भी नोटिस जारी किया था।

    अगस्त 2023 में मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने कहा कि उसके संज्ञान में आया कि "हरियाणा राज्य बल प्रयोग कर रहा है और इमारतों को इस तथ्य के कारण ध्वस्त कर रहा है कि गुरुग्राम और नूंह में कुछ दंगे हुए हैं।

    कोर्ट ने कहा था,

    "जाहिरा तौर पर बिना किसी विध्वंस आदेश और नोटिस के कानून और व्यवस्था की समस्या का इस्तेमाल कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन किए बिना इमारतों को गिराने के लिए किया जा रहा है।"

    अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर जुलाई 2023 में हुई सांप्रदायिक हिंसा में शामिल व्यक्तियों की कई 'अवैध' झोपड़ियों, अस्थायी दुकानों और कुछ कंक्रीट संरचनाओं को ध्वस्त करने के बाद अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू की थी। अखबार की रिपोर्ट में खुद गृह मंत्री के हवाले से कहा गया कि ऐसा चूंकि सरकार सांप्रदायिक हिंसा की जांच कर रही है, इसलिए बुलडोजर इलाज (उपचार) का हिस्सा है।

    गृह मंत्री के बयान का हवाला देते हुए कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि "क्या कानून और व्यवस्था की समस्या की आड़ में किसी विशेष समुदाय की इमारतों को गिराया जा रहा है और राज्य द्वारा जातीय सफाए की कवायद की जा रही है।"

    नूंह के उपायुक्त द्वारा दायर जवाब में कहा गया कि कानून की प्रक्रिया का पालन किए बिना क्षेत्र में कोई भी विध्वंस गतिविधि नहीं की गई।

    केस टाइटल: न्यायालय अपने स्वयं के प्रस्ताव बनाम हरियाणा राज्य पर

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