सशस्त्र बलों के अधिकारियों के लिए जेंडर न्यूट्रल शर्तें जल्द ही अधिसूचित की जाएंगी: केंद्र ने पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट से कहा

Amir Ahmad

9 March 2024 12:39 PM GMT

  • सशस्त्र बलों के अधिकारियों के लिए जेंडर न्यूट्रल शर्तें जल्द ही अधिसूचित की जाएंगी: केंद्र ने पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट से कहा

    केंद्र सरकार ने पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया है कि सशस्त्र बलों के अधिकारियों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले नामकरण को जेंडर न्यूट्रल शब्दावली में बदलने के प्रयास चल रहे हैं।

    इसमें कहा गया,

    "सरकार ऐसे शब्द को शीघ्रता से और निकट भविष्य में विधिवत अधिसूचित और कार्यान्वित करेगी यह सुनिश्चित करते हुए कि यह न केवल भारतीय उपमहाद्वीप के लोकाचार को प्रतिबिंबित करता है बल्कि वैश्विक समावेशिता मानकों के साथ सहजता से संरेखित भी होता है।"

    आगे यह भी कहा गया है कि सरकार उभरते सामाजिक परिदृश्य और सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग किए जाने वाले नामकरण सहित शासन के सभी पहलुओं में जेंडर न्यूट्रल को अपनाने के महत्व को स्वीकार करती है और वे एक स्वीकार्य जेंडर न्यूट्रल शब्द तैयार करने के उद्देश्य से सक्रिय रूप से प्रयासों में लगे हुए हैं।

    यह जवाब निदेशालय पुनर्वास क्षेत्र (रक्षा मंत्रालय) के संयुक्त निदेशक द्वारा एक याचिका में दायर किया गया जिसमें केंद्र सरकार को पूर्व-सेवा कर्मियों को संदर्भित करने के लिए केंद्र सरकार की कुछ योजनाएं और लाभ में

    "एक्स सर्विस मैन" के बजाय “एक्स सर्विस” लिंग समावेशी शब्द का उपयोग करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

    यह तर्क दिया गया है कि एक्स सर्विस कर्मियों के कल्याण और पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बनाए गए विभाग के शीर्षक में इस्तेमाल की जाने वाली शब्दावली भी लिंग-विशिष्ट है यानी पूर्व सैनिक कल्याण विभाग और मामला भी यही है एक्स सर्विस कर्मियों के लिए आरक्षण के नियमों के साथ यानी एक्स सर्विस (केंद्रीय सिविल सेवाओं और पदों में पुनर्नियोजन) नियम 1979

    दलीलों पर विचार करते हुए एक्टिंग चीफ जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस निधि गुप्ता की खंडपीठ ने केंद्र सरकार और अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी किया था।

    यह याचिका एक सेवानिवृत्त शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी कैप्टन सुखजीत पाल कौर सानेवाल ने वकील नवदीप सिंह के माध्यम से दायर की है जिसमें केंद्र सरकार को 'एक्स-सर्विस मैन' के बजाय रक्षा सेवाओं की पूर्व महिला सदस्यों का जिक्र करते हुए लिंग-समावेशी शब्दावली का इस्तेमाल करने का निर्देश देने की मांग की गई है। जिसका उपयोग वर्तमान में संघ और अन्य प्राधिकरणों द्वारा नीतियों और संचार में किया जा रहा है।

    इसमें लैंगिक रूढ़िवादिता से निपटने के लिए हैंडबुक का भी उल्लेख किया गया है जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णयों और अदालती भाषा में लैंगिक रूढ़िवादिता से भरे शब्दों और वाक्यांशों के उपयोग को पहचानने और हटाने के लिए जारी किया गया है।

    मामले को अब आगे के विचार के लिए 16 मई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

    केस टाइटल- कैप्टन सुखजीत पाल कौर बनाम भारत संघ और अन्य

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