पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एम3एम निदेशक की रिश्वत मामले में FIR रद्द करने की याचिका वापस लेने की अनुमति से किया इनकार मामले के संचालन पर उठाए सवाल

Amir Ahmad

27 May 2025 12:47 PM IST

  • पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एम3एम निदेशक की रिश्वत मामले में FIR रद्द करने की याचिका वापस लेने की अनुमति से किया इनकार मामले के संचालन पर उठाए सवाल

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने रियल एस्टेट कंपनी एम3एम के निदेशक रूप बंसल द्वारा एक ट्रायल कोर्ट जज को रिश्वत देने की साजिश से जुड़े 2023 की FIR रद्द करने हेतु दायर याचिका वापस लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।

    बंसल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 8, 11, 13 और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप लगाए गए हैं।

    चीफ जस्टिस शील नागू ने सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी की ओर से की गई याचिका वापस लेने की अपील को ठुकरा दिया।

    चीफ जस्टिस ने कहा,

    “जिस प्रकार से यह मामला संचालित हुआ है, मैं आपकी याचिका वापस लेने की अपील को अस्वीकार करता हूं।”

    सिंघवी ने तर्क दिया,

    “जब एक आरोपी को धारा 482 के तहत याचिका दाखिल करने का अधिकार है, तो उसे उसे वापस लेने का भी अधिकार होना चाहिए।”

    हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को मानने से इनकार कर दिया।

    यह गौरतलब है कि यह मामला पहले जस्टिस मंजरी नेहरू कौल की एकल पीठ के समक्ष था लेकिन उसे वापस लेकर फिर से एक नई याचिका दायर की गई। यह नई याचिका एक अन्य एकल पीठ के समक्ष सूचीबद्ध हुई, परंतु फैसला सुनाए जाने के दिन शिकायत प्राप्त होने के बाद चीफ जस्टिस द्वारा उसे वापस ले लिया गया।

    चीफ जस्टिस ने उस समय कहा था कि यह निर्णय संस्थान के हित में और जज की प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए लिया गया।

    सुनवाई के दौरान सिंघवी ने यह दलील दी,

    “संबंधित जज के समक्ष एम3एम का कोई मामला उस समय लंबित नहीं था।”

    उन्होंने यह भी तर्क दिया कि केवल साजिश के आधार पर धारा 120-बी के तहत अभियोजन नहीं हो सकता। यह कि संबंधित जज के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17-ए के तहत पूर्व अनुमति (Sanction) नहीं ली गई थी।

    उन्होंने कहा,

    "इस मामले का मूल केंद्र बिंदु साजिश है। रिश्वत लेने वाला तभी होगा जब कोई रिश्वत देने वाला हो।"

    सिंघवी ने ED की इस मामले में हस्तक्षेप पर भी आपत्ति जताई और कहा कि मामला एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) से जुड़ा है, ED का इसमें कोई लोकस स्टैंडाई नहीं है।

    “ED सर्वव्यापी नहीं हो सकती वह हर प्रारंभिक अपराध (Predicate Offence) को नहीं संभाल सकती।”

    सिंघवी ने अंत में कहा,

    मैं ट्रायल पर कोई टिप्पणी करके जोखिम नहीं लेना चाहता और याचिका वापस लेने की अपील की, जिसे फिर से खारिज कर दिया गया।

    समय की कमी के चलते कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 29 मई तय की है।

    केस टाइटल: रूप बंसल बनाम राज्य हरियाणा एवं अन्य

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