पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सिविल जज 2016 के अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका की दोबारा जांच के लिए एक्पर्ट पैनल से पुनर्मूल्यांकन की अनुमति दी
Amir Ahmad
28 May 2025 4:11 PM IST

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सिविल जज 2016 के अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका की दोबारा जांच के लिए एक्पर्ट पैनल से पुनर्मूल्यांकन की अनुमति दी
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सिविल जज परीक्षा 2016 के उम्मीदवार द्वारा अंग्रेज़ी प्रश्नपत्र के एक प्रश्न की पुनर्मूल्यांकन याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि यदि मूल्यांकन पूरी तरह से त्रुटिपूर्ण पाया जाए तो उसे पुनः मूल्यांकन हेतु उसी प्रक्रिया से असंबद्ध किसी अन्य विशेषज्ञ या विशेषज्ञों के पैनल के पास भेजा जाना चाहिए।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमीत गोयल की खंडपीठ ने कहा,
“जब मूल्यांकन पूरी तरह से गलत पाया जाता है तो उचित और कानूनी रूप से उचित रास्ता यही है कि अदालत स्वयं मूल्यांकन न करे बल्कि उस उत्तर को पुनः मूल्यांकन के लिए किसी ऐसे विशेषज्ञ या विशेषज्ञों के पैनल के पास भेजे जो पूर्व की मूल्यांकन प्रक्रिया से जुड़े न हों, ताकि स्वतंत्र और निष्पक्ष पुनर्मूल्यांकन किया जा सके।”
जस्टिस गोयल ने कहा कि इस प्रकार का दृष्टिकोण न केवल न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता को बनाए रखता है, बल्कि संस्थागत विशेषज्ञता का भी सम्मान करता है।
अदालत इस मुद्दे पर विचार कर रही थी कि क्या अंग्रेजी प्रश्नपत्र में याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए उत्तरों का पुनर्मूल्यांकन होना चाहिए।
एक ही प्रश्न के लिए यदि एक से अधिक उत्तर लिखे जाएं तो केवल पहला उत्तर ही मूल्यांकित किया जाएगा।
अदालत ने याचिकाकर्ता की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उसने प्रश्न के लिए एक से अधिक उत्तर लिखे और यदि उनमें से कोई एक उत्तर सही हो, तो उसे मूल्यांकित किया जाना चाहिए था।
अदालत ने कहा,
“यह तर्क सामान्य समझ और विवेक की कसौटी पर खरा नहीं उतरता। यह उचित नहीं है कि कोई परीक्षार्थी कई उत्तर दे और फिर परीक्षक से अपेक्षा करे कि वह सभी को जांचे और सही उत्तर का निर्धारण करे। ऐसा होने पर मूल्यांकन प्रक्रिया में अराजकता और भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।”
अतः पीठ ने यह स्पष्ट किया कि केवल पहला उत्तर ही मूल्यांकन के योग्य माना जाएगा।
अदालत ने यह स्वीकार किया कि यदि पहला उत्तर सही हो और उसे गलत तरीके से मूल्यांकित किया गया हो तो उसकी पुनः जांच की जा सकती है।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपनी रिट अधिकारिता का प्रयोग करते हुए अदालत का कार्य यह नहीं है कि वह शैक्षणिक मूल्यांकन की अपील की तरह कार्य करे, खासकर जब वह प्रक्रिया विशिष्ट व्याख्यात्मक और वर्णनात्मक विशेषज्ञता की मांग करती हो।
परंतु जब अदालत ने उस विशेष उत्तर का परीक्षण किया तो उसने पाया,
“साधारण अंग्रेज़ी भाषा के सामान्य ज्ञान के आधार पर भी याचिकाकर्ता द्वारा दिया गया उत्तर गलत नहीं कहा जा सकता।”
अतः अदालत ने माना कि उस उत्तर में स्पष्ट त्रुटि होने के कारण उसका पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है।
अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा,
“इस प्रकार के मामलों में अदालत को अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि किसी उत्तर के मूल्यांकन के संबंध में विशेषज्ञ मूल्यांकनकर्ता की जगह अदालत स्वयं मूल्यांकन नहीं कर सकती, न ही ऐसा करना उचित होगा।"
फैसले के अनुसार हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि अंग्रेज़ी प्रश्नपत्र में जिस प्रश्न में “Mohan is a Painter of the first water” कथन दिया गया और उसमें “of the first water” मुहावरे का उपयोग किया गया। उस उत्तर का पुनर्मूल्यांकन पहले मूल्यांकनकर्ता के स्थान पर किसी अन्य योग्य परीक्षक द्वारा किया जाए। यह मूल्यांकन नियमानुसार किया जाए और सीलबंद लिफाफे में अदालत को अगली सुनवाई की तारीख 7 जुलाई तक प्रस्तुत किया जाए।
केस टाइटल: रुस्तम गर्ग बनाम पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट चंडीगढ़ एवं अन्य

