भाखड़ा नांगल डैम: हरियाणा को अतिरिक्त जल छोड़ने के आदेश को वापस लेने की पंजाब सरकार की याचिका पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

Amir Ahmad

14 May 2025 3:24 PM IST

  • भाखड़ा नांगल डैम: हरियाणा को अतिरिक्त जल छोड़ने के आदेश को वापस लेने की पंजाब सरकार की याचिका पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार (14 मई) को भाखड़ा बीस मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) से पंजाब सरकार की उस अर्जी पर जवाब मांगा, जिसमें कोर्ट के 6 मई के आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी। इस आदेश के तहत हरियाणा को भाखड़ा नांगल डैम से अतिरिक्त जल छोड़े जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ था।

    चीफ जस्टिस शील नागु और जस्टिस सुमीत गोयल की खंडपीठ ने BBMB, हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 20 मई तक जवाब दाखिल करने को कहा। इस याचिका की सुनवाई उसी दिन होगी जिस दिन पंजाब सरकार के विरुद्ध दायर अवमानना याचिका भी सूचीबद्ध है।

    केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तुत पक्ष के अनुसार 2 मई को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव ने एक बैठक बुलाई, जिसमें हरियाणा की आपात आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए 8 दिनों के लिए 4500 क्यूसेक अतिरिक्त जल छोड़े जाने का निर्णय लिया गया। हाईकोर्ट ने 6 मई को पंजाब को निर्देश दिया कि वह डैम प्राधिकरण के कामकाज में किसी भी प्रकार से बाधा न डाले।

    पंजाब सरकार ने 2 मई को केंद्र द्वारा लिए गए निर्णय का विरोध किया और कहा कि केंद्रीय गृह सचिव को BBMB नियमों के अंतर्गत जल आवंटन तय करने का अधिकार नहीं है।

    पंजाब सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट गुरमिंदर सिंह, एडवोकेट जनरल मनिंदरजीत सिंह बेदी और एडिशनल एडवोकेट जनरल चंचल सिंगला ने दलील दी कि BBMB द्वारा तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत कर यह आदेश लागू कराया गया ताकि हरियाणा को अवैध रूप से अतिरिक्त जल दिया जा सके। यह सब पंजाब पुलिस को हटाने के बहाने किया गया।

    गुरमिंदर सिंह ने संविधान के अनुच्छेद 262 का हवाला देते हुए कहा,

    “दो राज्यों के बीच जल विवाद केवल संसद द्वारा बनाए गए कानून के अंतर्गत सुलझाया जा सकता है।”

    उन्होंने तर्क दिया कि संसद ने 'अंतर-राज्यीय जल विवाद अधिनियम, 1956 बनाया है। इसके अनुसार पंजाब की सहमति के बिना हरियाणा को पंजाब के हिस्से से जल नहीं दिया जा सकता।

    उन्होंने कहा,

    “अगर ऐसी सहमति के बिना जल छोड़ा गया तो यह एक जल विवाद बन जाएगा, जिसे केवल 1956 के अधिनियम के तहत गठित जल ट्रिब्यूनल द्वारा सुलझाया जा सकता है।”

    चीफ जस्टिस नागु ने पूछा,

    “अगर दोनों राज्य आपस में सहमति पर नहीं पहुंचते तो क्या होगा?”

    इस पर सिंह ने कहा कि ऐसे में केंद्र सरकार से प्रतिनिधित्व करना होता है, जो पंजाब सरकार द्वारा किया गया था।

    पंजाब सरकार ने प्रस्तुत किया कि हरियाणा ने अतिरिक्त जल की मांग की थी और पंजाब ने प्रतिदिन 4000 क्यूसेक जल देने की सहमति दी थी। लेकिन हरियाणा ने 8 दिनों के लिए और 4500 क्यूसेक अतिरिक्त जल मांगा यह कहते हुए कि पश्चिमी यमुना नहर की मरम्मत के कारण पीने के पानी की कमी है। लेकिन यह नहर 1 मई को चालू हो गई थी।

    इसके बाद 28 अप्रैल को BBMB की एक आपात बैठक हुई, जिसमें पंजाब के हिस्से से हरियाणा को 4500 क्यूसेक अतिरिक्त जल दिए जाने का मुद्दा उठाया गया लेकिन कोई सहमति नहीं बनी। इस बैठक में पंजाब ने हरियाणा द्वारा मांगे गए 8500 क्यूसेक जल पर स्पष्ट आपत्ति दर्ज की थी।

    केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्या पाल जैन ने कहा कि 2 मई की बैठक में पंजाब के अधिकारी भी उपस्थित थे, जो केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में हुई थी। उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब ने BBMB द्वारा 30 अप्रैल को लिए गए निर्णय को चुनौती नहीं दी, जिसमें हरियाणा को 8500 क्यूसेक जल छोड़े जाने का निर्णय लिया गया था।

    इस पर गुरमिंदर सिंह ने उत्तर दिया कि यदि केंद्र की सक्षम प्राधिकारी पंजाब के खिलाफ निर्णय लेती है तो राज्य उस निर्णय को कानूनी माध्यम से चुनौती देगा।

    हरियाणा सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल प्रविंदर सिंह चौहान ने पंजाब की याचिका का विरोध करते हुए कहा,

    “यह मामला ऐसा नहीं है कि हरियाणा पंजाब के हिस्से का जल मांग रहा हो।”

    उन्होंने कहा कि हरियाणा को पीने के पानी की आवश्यकता है, इसलिए अतिरिक्त जल मांगा गया।

    मामला

    इससे पहले हाईकोर्ट ने कहा था,

    “कोर्ट पंजाब राज्य में भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर गोलीबारी के कारण वर्तमान संवेदनशील स्थिति से अवगत है। इसलिए मुख्य सचिव तथा पुलिस महानिदेशक, पंजाब सरकार पर किसी भी अवमानना नोटिस का बोझ नहीं डालना चाहता।”

    हालांकि, खंडपीठ ने यह भी कहा कि “प्रथम दृष्टया” ऐसा प्रतीत होता है कि 6 मई को दिए गए कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया गया।

    6 मई को हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस को डैम के दैनिक कार्यों में हस्तक्षेप से रोका था और केंद्र सरकार द्वारा लिए गए निर्णय का पालन करने को कहा था, जिसके अनुसार हरियाणा की आपात आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भाखड़ा डैम से अतिरिक्त जल छोड़ा जाना था। इसके बावजूद, एक अवमानना याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि पंजाब पुलिस ने BBMB को हरियाणा को जल छोड़ने से रोका।

    इस विवाद के चलते 8 मई को हाईकोर्ट ने BBMB के अध्यक्ष को यह निर्देश दिया कि वे शपथपत्र के माध्यम से यह जानकारी दें कि पंजाब पुलिस ने उन्हें जल छोड़ने से रोका।

    BBMB अध्यक्ष मनोज त्रिपाठी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बताया कि BBMB के दो अधिकारियों को 200 क्यूसेक जल हरियाणा को छोड़ने के लिए भेजा गया, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोका। त्रिपाठी ने यह भी बताया कि उन्हें गेस्ट हाउस में कुछ आम नागरिकों ने घेर लिया था, बाद में पंजाब पुलिस ने उन्हें वहां से निकाला।

    कोर्ट ने त्रिपाठी को अपना बयान शपथपत्र में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्या पाल जैन को भी यह निर्देश दिया कि वे 2 मई को हुई बैठक की कार्यवृत्त कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें, जिसमें 8 दिनों के लिए 4500 क्यूसेक अतिरिक्त जल हरियाणा को दिए जाने का निर्णय हुआ था।

    यह पूरा मामला ग्राम पंचायत द्वारा दायर अवमानना याचिका से जुड़ा है, जिसमें आरोप लगाया गया कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद पंजाब पुलिस ने BBMB के अधिकारियों को अपने कार्यों को निष्पादित करने से रोका।

    केस टाइटल: भाखड़ा बीस मैनेजमेंट बोर्ड बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य

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