पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सामुदायिक मध्यस्थता-खाप पंचायत को मध्यस्थता अधिनियम के तहत लागू करने पर केंद्र और राज्य सरकारों से मांगा जवाब
Amir Ahmad
1 July 2025 3:43 PM IST

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को मध्यस्थता अधिनियम, 2023 के तहत सामुदायिक मध्यस्थता को लागू न करने के संबंध में स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका (PIL) पर पंजाब हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ से जवाब मांगा।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमीत गोयल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 5 अगस्त तक के लिए स्थगित करते हुए कहा,
"मध्यस्थता अधिनियम 2023 का अध्याय 10, जो सामुदायिक मध्यस्थता से संबंधित है...अब तक प्रभाव में नहीं लाया गया। रजिस्ट्री को निर्देशित किया जाता है कि वह भारत सरकार, पंजाब, हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ की सरकारों को पक्षकार बनाए। तीनों प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाए।"
चीफ जस्टिस के कार्यालय ने प्रशासनिक आदेश के माध्यम से स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा कि प्रत्येक समाज में समूहों या समुदायों के बीच कुछ विवाद हो सकते हैं। सामुदायिक मध्यस्थता कार्यक्रमों के माध्यम से इन विवादों का निचले स्तर पर समाधान किया जा सकता है, जिससे विवाद की जड़ में ही निपटारा हो सके और समाज में शांति और सौहार्द्र बना रहे।
आदेश में यह भी कहा गया,
"ग्रामीण क्षेत्रों में खाप पंचायतें उस समुदाय में महत्वपूर्ण सामाजिक प्रभाव रखती हैं और अपने-अपने क्षेत्रों में सामाजिक शासन का एक रूप निभाती हैं।"
आदेश में यह भी उजागर किया गया,
"मध्यस्थता अधिनियम, 2023 की धारा 43 और 44 में सामुदायिक मध्यस्थता का विशेष प्रावधान है। सामुदायिक मध्यस्थता पड़ोसियों, परिवारों और समुदायों के बीच के व्यक्तिगत विवादों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हालांकि यह निचले स्तर पर विवादों के सस्ते और त्वरित समाधान में अत्यंत प्रभावी है, लेकिन अब तक सामुदायिक मध्यस्थता को लागू नहीं किया गया।"

