पंजाब सरकार ने भाखड़ा बांध प्रबंधन द्वारा हरियाणा को कथित अतिरिक्त जल आवंटन के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया
Amir Ahmad
8 Aug 2025 12:16 PM IST

पंजाब सरकार ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) द्वारा हरियाणा को कथित अतिरिक्त जल आवंटन के अप्रैल में लिए गए फैसले को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी।
पंजाब के अटॉर्नी जनरल मनिंदरजीत सिंह बेदी ने 23 अप्रैल को हुई तकनीकी समिति की बैठक और 30 अप्रैल व 3 मई को हुई बोर्ड बैठक के निर्णयों के विवरण को रद्द करने की मांग की। याचिका में सभी सहयोगी राज्यों की भागीदारी वाली निष्पक्ष प्रक्रिया के माध्यम से BBMB के एक निष्पक्ष अध्यक्ष की नियुक्ति की भी मांग की गई।
गौरतलब है कि 30 अप्रैल को हुई एक संयुक्त बैठक में बोर्ड ने हरियाणा को 8,500 क्यूसेक पानी छोड़ने का फैसला किया था, जिस पर पंजाब ने आपत्ति जताई थी।
याचिका में कहा गया कि BBMB की कार्रवाई अधिकार क्षेत्र से बाहर है क्योंकि उसके पास अंतर-राज्यीय जल बंटवारे में बदलाव करने का अधिकार नहीं है जो कि अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम 1956 के तहत न्यायाधिकरण का विशेष अधिकार क्षेत्र है।
कोर्ट ने कहा,
"BBMB को केवल मौजूदा समझौतों के अनुसार आपूर्ति को विनियमित करने का अधिकार है न कि एकतरफा अतिरिक्त पानी आवंटित करने का। सक्षम प्राधिकारी (एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, BML, पटियाला) द्वारा अतिरिक्त पानी के लिए कोई मांगपत्र नहीं रखा गया, जो परिचालन नियमों का उल्लंघन है।"
याचिका में कहा गया कि 30 अप्रैल और 3 मई को आयोजित बोर्ड की बैठकें BBMB नियमों के उल्लंघन में आयोजित की गईं क्योंकि तत्काल बैठकों के लिए न्यूनतम सात दिनों की सूचना अवधि और 12 दिन पहले एजेंडा प्रसारित करने के नियमों का पालन नहीं किया गया। विस्तार से बताते हुए खंडपीठ ने कहा कि 30 अप्रैल की बैठक में हरियाणा को 8500 क्यूसेक पानी छोड़ने का बहुमत से निर्णय लिया गया था।
खंडपीठ ने कहा,
"केंद्रीय गृह सचिव द्वारा 2 मई को हरियाणा को पानी छोड़ने का निर्देश देने का निर्णय BBMB से प्राप्त एकतरफा जानकारी के आधार पर स्वतंत्र रूप से लिया गया, न कि उचित निर्णय पर।"
सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने पक्षकार न बनाए जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वह एक पीड़ित पक्ष है।
चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या हरियाणा राज्य को पक्षकार बनाने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि केवल केंद्र सरकार और BBMB को ही पक्षकार बनाया गया। परिणामस्वरूप अटॉर्नी जनरल ने हरियाणा सरकार को पक्षकार बनाने के लिए समय मांगा।
केस टाइटल: प्रधान सचिव के माध्यम से पंजाब राज्य बनाम भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड एवं अन्य

