इतने संवेदनशील क्यों हो रहे हैं?: शिवलिंग की तस्वीर हटाने की याचिका पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Amir Ahmad

13 Sept 2025 11:08 AM IST

  • इतने संवेदनशील क्यों हो रहे हैं?: शिवलिंग की तस्वीर हटाने की याचिका पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका (PIL) को खारिज किया, जिसमें आयुर्वेदिक कंपनी के लोगो से शिवलिंग की तस्वीर हटाने की मांग की गई थी।

    मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा,

    "आप इन चीजों को लेकर इतने संवेदनशील क्यों हो रहे हैं? धार्मिक भावनाओं में यह अचानक वृद्धि क्यों?"

    चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन प्राइवेट लिमिटेड नामक 108 साल पुरानी कंपनी के उत्पादों की पैकेजिंग पर शिवलिंग की तस्वीर के इस्तेमाल के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि कंपनी को अपने उत्पादों से शिवलिंग की तस्वीर हटाने का निर्देश दिया जाए। साथ ही देवी-देवताओं की तस्वीरों या प्रतीकों का व्यावसायिक उत्पादों पर इस्तेमाल करने से दूसरों को भी रोका जाए।

    कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि ट्रेडमार्क या कॉपीराइट से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए अपीलीय मंच मौजूद है। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन ने पीठ को बताया कि केंद्र सरकार के अधिकारियों ने याचिकाकर्ता से इन प्रतीकों के व्यावसायिक उपयोग से संबंधित जानकारी मांगी थी। हालांकि, वह अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई।

    अदालत ने यह भी नोट किया कि याचिकाकर्ता ने पहले ही संबंधित अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज करा दी और उस पर विचार किया जा रहा है।

    कोर्ट ने कहा,

    "यह अदालत उस प्रक्रिया के रास्ते में नहीं आना चाहेगी। इसके साथ ही याचिका का निपटारा कर दिया गया।"

    याचिकाकर्ता मेघान खुल्लर ने अपनी दलील में कहा कि बैद्यनाथ कंपनी विभिन्न आयुर्वेदिक उत्पाद बनाती है, जिन पर शिवलिंग का लोगो होता है। इनमें से कुछ उत्पाद ऐसे भी हैं, जिनका उपयोग संवेदनशील शारीरिक क्षेत्रों के उपचार के लिए किया जाता है। इस दौरान पैकेजिंग को गंदे हाथों से छुआ जा सकता है और पवित्र प्रतीक की शुचिता भंग होती है, जो करोड़ों भक्तों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है।

    याचिका में आगे कहा गया कि शिवलिंग वाले उत्पादों को अक्सर कूड़ेदान, शौचालयों, जल निकासी प्रणालियों और अन्य सार्वजनिक कचरा स्थलों में फेंक दिया जाता है। इस अनुचित निपटान से न केवल शिवलिंग की पूजनीय स्थिति कम होती है बल्कि यह प्रदूषण के संपर्क में भी आता है, जिससे हिंदू समुदाय को गहरा भावनात्मक कष्ट होता है।

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