एडमिशन फॉर्म में जमा करने के बाद कोई बदलाव स्वीकार्य नहीं, प्रतियोगी परीक्षाएं शीघ्रता से पूरी होनी चाहिए: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Amir Ahmad

11 July 2025 11:32 AM IST

  • एडमिशन फॉर्म में जमा करने के बाद कोई बदलाव स्वीकार्य नहीं, प्रतियोगी परीक्षाएं शीघ्रता से पूरी होनी चाहिए: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि किसी एडमिशन फॉर्म में एक बार जमा करने के बाद कोई भी बदलाव की अनुमति नहीं दी जा सकती विशेष रूप से प्रतियोगी परीक्षाओं के संदर्भ में। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि चयन प्रक्रिया का शीघ्र निष्पादन सुनिश्चित करना आवश्यक है।

    कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उस एडमिशन पॉलिसी को चुनौती दी गई थी, जिसमें आवेदन फॉर्म जमा करने के बाद उसमें किसी भी प्रकार के बदलाव की अनुमति नहीं दी जाती।

    चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने कहा,

    "नियम मनमाने नहीं लगते, क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं में, जहां लाखों उम्मीदवार भाग लेते हैं, सभी आवेदकों से ऐसा घोषणा पत्र लेना आवश्यक होता है ताकि चयन प्रक्रिया को बिना किसी रुकावट के और शीघ्रता से पूरा किया जा सके, जैसा कि इस याचिका में उठाए गए मुद्दों से संबंधित है।"

    कोर्ट ने आगे कहा कि यह विधि में स्थापित सिद्धांत है कि केवल सहानुभूति या करुणा के आधार पर कोई लाभ नहीं दिया जा सकता विशेषकर संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत न्यायिक समीक्षा की अंतर्निहित शक्ति के अंतर्गत।

    याचिका ऐसे अभ्यर्थी द्वारा दायर की गई, जो पांच वर्षीय एकीकृत प्रबंधन कार्यक्रम (IPM) में एडमिशन के लिए आवेदन कर रहा था। उसने फॉर्म में IPMAT विवरण के रूप में 25007355 अंकित किया जबकि याचिकाकर्ता के वकील के अनुसार सही नंबर 2509577 था।

    प्रतिवादी की ओर से पेश वकील ने घरेलू आवेदकों के लिए लागू एडमिशन पॉलिसी का हवाला दिया विशेष रूप से उस खंड का, जिसमें आवेदन प्रक्रिया के अंतर्गत यह कहा गया था,

    "IPM-AT 2025 तथा IIMs की किसी भी आगामी चयन प्रक्रिया के लिए कोई भी बाद का परिवर्तन मान्य नहीं होगा...एक बार आवेदन जमा हो जाने के बाद श्रेणी में कोई बदलाव स्वीकार नहीं किया जाएगा।"

    कोर्ट ने यह स्वीकार किया कि यह स्पष्ट है कि प्रवेश प्रक्रिया से संबंधित नियमों के अंतर्गत आवेदन फॉर्म में कोई सुधार स्वीकार्य नहीं है।

    कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की,

    "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि याचिकाकर्ता ने गलत नंबर भरा और इसलिए उसे इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। इस आधार पर याचिका खारिज कर दी।

    पीठ ने यह भी जोड़ा कि याचिकाकर्ता आगामी 2026 की परीक्षा में भाग लेने के लिए स्वतंत्र है।

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