तीसरे पक्ष से जब्त की गई राशि करदाता की अग्रिम कर देयता के विरुद्ध समायोजन के लिए योग्य नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
9 Sept 2024 2:24 PM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि किसी अन्य व्यक्ति के कब्जे से जब्त की गई नकदी को करदाता की कर देयता के विरुद्ध समायोजित नहीं किया जा सकता, क्योंकि उसके ओर से अग्रिम कर का भुगतान किया गया है।
जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस जगमोहन बंसल की खंडपीठ ने कहा, "धारा 132बी की उपधारा (3) से यह स्पष्ट है कि जिस व्यक्ति की संपत्ति जब्त की गई है, वह कर देयता के विरुद्ध समायोजन का हकदार है। स्पष्टीकरण के अनुसार, मौजूदा देयता में अग्रिम कर शामिल नहीं है।"
पीठ ने कहा, अपीलकर्ताओं का यह तर्क कि किसी अन्य व्यक्ति के कब्जे से जब्त की गई राशि को अपीलकर्ताओं द्वारा भुगतान किया गया अग्रिम कर माना जाना चाहिए, गलत है।
पीठ ने मामले में पाया कि राजस्व विभाग ने जब्त की गई नकदी को निर्धारण की तिथि से सही ढंग से समायोजित किया है तथा अग्रिम कर के विलंबित भुगतान पर धारा 234बी के तहत ब्याज लगाया है।
पीठ ने आगे कहा कि राजस्व द्वारा धारा 132बी के तहत जब्त की गई संपत्तियों का उपयोग आयकर, संपत्ति कर, व्यय कर आदि में तैयार प्रावधानों के तहत उत्पन्न कर देयता निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
धारा 132बी, 140ए और 234बी के संयुक्त पठन पर, पीठ ने पाया कि कर देयता के निर्धारण के लिए, स्रोत पर काटा गया या संग्रहित कर तथा अग्रिम कर को कुल देयता से घटाया जाना आवश्यक है।
पीठ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि करदाता ने कोई अग्रिम कर नहीं चुकाया है, इसलिए वे गलत तरीके से दावा कर रहे हैं कि तीसरे पक्ष के कब्जे से बरामद राशि को करदाता द्वारा देय अग्रिम कर माना जाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि कथित राशि तीसरे पक्ष के बैंक खाते में थी और जब तक सभी पक्षों की देयता निर्धारित नहीं हो जाती, तब तक जब्त की गई नकदी को करदाता की देयता के विरुद्ध समायोजित करने का कोई सवाल ही नहीं था।
इसलिए, हाईकोर्ट ने करदाता की अपील को खारिज कर दिया और निष्कर्ष निकाला कि जब्त की गई राशि को करदाता की नकदी नहीं माना जा सकता और उसे उनकी कर देयता के विरुद्ध समायोजित नहीं किया जा सकता।
केस टाइटलः कमला मेहता बनाम सीआईटी
केस नंबर: आईटीए-20-2012 (ओएंडएम)