केवल आपराधिक मामले में संलिप्तता के आधार पर सुनवाई का अवसर दिए बिना सेवा से बर्खास्त करना अनुचित: पटना हाईकोर्ट
Shahadat
3 July 2024 6:46 PM IST
पटना हाईकोर्ट ने कहा कि संबंधित प्राधिकारी द्वारा किसी कर्मी को केवल आपराधिक मामले में संलिप्तता के आधार पर सुनवाई का अवसर दिए बिना सेवा से बर्खास्त करना अनुचित है।
जस्टिस पी.बी. बजंथरी और जस्टिस आलोक कुमार पांडेय की खंडपीठ एकल पीठ के उस आदेश के विरुद्ध अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें अपीलकर्ता की याचिका खारिज कर दी गई। जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ)/प्रतिवादी, नालंदा ने अपीलकर्ता को 26.02.2014 को इस आधार पर आंगनबाड़ी सेविका के पद से बर्खास्त कर दिया कि वह आपराधिक मामले में संलिप्त थी और लगातार अपनी सेवा से अनुपस्थित थी।
अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट ने उसे आपराधिक मामले से बरी कर दिया। उसने आगे तर्क दिया कि उसे कोई कारण बताओ नोटिस नहीं दिया गया और प्रतिवादियों ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किए बिना अचानक उसकी सेवाएं समाप्त कर दीं।
हाईकोर्ट ने पाया कि अपीलकर्ता को कोई नोटिस नहीं दिया गया और उसे डीपीओ/प्रतिवादी के समक्ष अपना पक्ष रखने का कोई अवसर भी नहीं दिया गया। इस प्रकार, न्यायालय ने कहा कि डीपीओ/प्रतिवादी का आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है।
इसने माना कि अपीलकर्ता को केवल इस आधार पर बर्खास्त नहीं किया जा सकता कि वह आपराधिक कार्यवाही का सामना कर रही है।
न्यायालय ने कहा,
"अपीलकर्ता को कोई नोटिस नहीं दिया गया और उसे सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अपना पक्ष रखने का कोई अवसर भी नहीं दिया गया। अपीलकर्ता को केवल आपराधिक मामले में आरोप के आधार पर आंगनबाड़ी सेविका के पद से अचानक बर्खास्त कर दिया गया। मामले के दिए गए तथ्यों और परिस्थितियों के आलोक में, प्रतिवादी प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश योग्यता से रहित हैं।"
इस प्रकार इसने एकल पीठ का निर्णय खारिज कर दिया। इसने कहा कि 2014 में अपीलकर्ता की बर्खास्तगी के कारण "तीसरे पक्ष का हित पहले ही बन चुका है।" इसने माना कि अपीलकर्ता 5,00,000 रुपये के मुआवजे की हकदार है।
केस टाइटल: शुभद्रा कुमारी @ सुभद्रा देवी बनाम बिहार राज्य एवं अन्य (एल.पी.ए. नंबर 828/2019)