PFI-Phulwari Sharif 'Conspiracy| पटना हाईकोर्ट ने 6 आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से किया इनकार, कहा- प्रथम दृष्टया मामला बनता है

Amir Ahmad

9 May 2024 7:00 AM GMT

  • PFI-Phulwari Sharif Conspiracy| पटना हाईकोर्ट ने 6 आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से किया इनकार, कहा- प्रथम दृष्टया मामला बनता है

    पटना हाईकोर्ट ने पीएफआई-फुलवारी शरीफ आतंकी मॉड्यूल' मामले से जुड़े छह आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया। यह मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुलाई 2022 में बिहार यात्रा में खलल डालने की कथित साजिश से जुड़ा है।

    वर्तमान मामले में जांच एजेंसी द्वारा एकत्र की गई सामग्री/साक्ष्यों पर विचार करते हुए जस्टिस विपुल एम पंचोली और जस्टिस रमेश चंद मालवीय की खंडपीठ ने कहा कि अपीलकर्ताओं के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।

    मामले में अग्रिम जमानत की मांग करने वाले आरोपी व्यक्तियों (मंजर परवेज, अब्दुर रहमान, महबूब आलम, शमीम अख्तर, मोहम्मद खलीकुज्जमां और मोहम्मद अमीन) को NIA द्वारा सह-साजिशकर्ता के रूप में गिरफ्तार किया गया, जो वर्तमान में मामले की जांच कर रही है।

    मोहम्मद जलालुद्दीन और अताहिर परवेज द्वारा दिए गए बयानों के अनुसार मामले में शामिल सभी उपरोक्त आरोपियों पर प्रधानमंत्री मोदी के निर्धारित आंदोलनों को विफल करके सांप्रदायिक सद्भाव और सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने के लिए नापाक मंसूबों को आकार देने का आरोप लगाया गया।

    महत्वपूर्ण बात यह है कि पटना पुलिस ने जुलाई 2022 में की गई छापेमारी में जलालुद्दीन और परवेज को गिरफ्तार किया। पुलिस अधिकारियों ने कथित तौर पर भारत की संप्रभुता को बाधित करने देश के खिलाफ असंतोष पैदा करने और भारत के संविधान को तोड़कर भारत में पैन-इस्लामिक शासन स्थापित करने के उद्देश्य से गैरकानूनी गतिविधियों से संबंधित दस्तावेज बरामद किए।

    अपनी गिरफ्तारी की आशंका के चलते सभी छह अपीलकर्ता स्पेशल जज एनआईए, पटना बिहार के समक्ष गए, जिन्होंने राहत देने से इनकार कर दिया। परिणामस्वरूप वे अपनी दलीलों के साथ हाइकोर्ट चले गए।

    न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत सामग्री की जांच करते हुए न्यायालय ने पाया कि माननीय प्रधानमंत्री की बिहार यात्रा को बाधित करने की साजिश रची गई, जिसका देश में सार्वजनिक व्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता, यदि पुलिस समय रहते इसे विफल नहीं कर पाती।

    न्यायालय ने कहा,

    "छापे के दौरान अलग-अलग भाषा में बरामद किए गए दस्तावेज़, आंतरिक दस्तावेज़ अभियुक्तों के नापाक मंसूबों के बारे में बहुत कुछ बताते हैं, जो इस्लामिक भारत के शासन की दिशा में एजेंडा इंडिया 2047 का प्रचार करने वाले कट्टरपंथी संगठनों की विचारधारा को मानते हैं।"

    न्यायालय ने पाया कि शुरू में नामित दो अभियुक्तों से प्राप्त निकाले गए डेटा सांप्रदायिक रूप से आपत्तिजनक वीडियो से भरे थे, जिन्हें धार्मिक दुश्मनी और घृणा फैलाने के लिए प्रसारित किया गया।

    न्यायालय ने कहा कि इस तरह के निकाले गए डेटा ने पीएफआई और इसके छत्र के तहत अन्य संगठनों द्वारा आयोजित विभिन्न विरोध प्रदर्शनों में अपीलकर्ताओं की भागीदारी की भी पुष्टि की।

    न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा,

    "जांच के दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि प्रथम दृष्टया यह कहा जा सकता है कि वर्तमान अपीलकर्ताओं ने UAPA के तहत दंडनीय कथित अपराध किए। इसलिए अग्रिम जमानत देने के लिए अपीलकर्ताओं द्वारा दायर की गई अपीलें स्वीकार्य नहीं होंगी।"

    परिणामस्वरूप, न्यायालय ने स्पेशल NIA जज के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें आरोपी व्यक्तियों की अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया गया।

    केस टाइटल - मंजर परवेज बनाम भारत संघ और संबंधित याचिकाएं

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