बिहार एक्साइज नियम | केवल शराब की मात्रा के आधार पर जब्त वाहन की रिहाई रोका जाना जनहित नहीं: हाईकोर्ट

Amir Ahmad

19 Nov 2025 2:55 PM IST

  • बिहार एक्साइज नियम | केवल शराब की मात्रा के आधार पर जब्त वाहन की रिहाई रोका जाना जनहित नहीं: हाईकोर्ट

    पटना हाईकोर्ट ने बिहार निषेध एवं मद्यनिषेध नियमावली, 2021 के नियम 12A(3) की अहम व्याख्या करते हुए कहा कि 'जनहित' का अर्थ कठोर, स्थिर या यांत्रिक ढंग से नहीं समझा जा सकता। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब्त वाहन की रिहाई से इनकार करने का आधार केवल शराब की मात्रा नहीं हो सकता, बल्कि संबंधित प्राधिकारी को पूरे वैधानिक ढाँचे के अनुरूप कई महत्वपूर्ण तथ्यों का समुचित मूल्यांकन करना आवश्यक है।

    जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद और जस्टिस सौरेंद्र पांडेय की खंडपीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आयुक्त (एक्साइज), बिहार द्वारा एक स्कॉर्पियो वाहन की जब्ती के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार किए जाने को चुनौती दी गई। प्रकरण में कलेक्टर, गोपालगंज ने नियम 12A(3) का हवाला देते हुए कहा था कि वाहन की रिहाई जनहित में नहीं।

    अदालत ने यह समझाया कि वर्ष 2022 में नियम 12A को इसलिए जोड़ा गया, क्योंकि निषेध कानून के तहत भारी संख्या में जब्त वाहन थानों के बाहर लंबे समय तक खड़े-खड़े नष्ट हो रहे थे। नीलामी और जब्ती प्रक्रिया पर लगातार कानूनी अड़चनें आती रहती थीं, जिससे सड़क अवरुद्ध होने और सरकारी संपत्ति के खराब होने जैसी समस्याएं पैदा होती थीं। ऐसे हालात से निपटने के लिए कानून में संशोधन किया गया ताकि वाहन रिहाई की स्पष्ट प्रक्रिया उपलब्ध हो सके।

    अदालत ने पाया कि कलेक्टर द्वारा जारी मेमो में यह निर्देश दिया गया कि यदि दोपहिया में पाँच लीटर से अधिक या चारपहिया में दस लीटर से अधिक शराब बरामद हो तो ऐसे वाहन दंड लेकर भी रिहा नहीं किए जाएं। हाईकोर्ट ने कहा कि इस तरह का आधार नियम 12A की मंशा और उद्देश्य के विपरीत है। अदालत के अनुसार 'जनहित' का विचार केवल शराब की मात्रा तक सीमित नहीं हो सकता। इसे तय करते समय यह देखा जाना चाहिए कि क्या वाहन पहले भी ऐसे अपराध में पकड़ा गया, क्या मालिक की पहचान संदिग्ध है, क्या शराब नकली है, क्या मालिक कई निषेध मामलों में शामिल है या क्या कोई अन्य ऐसा पहलू है जो जनहित को प्रभावित कर सकता है।

    अदालत ने टिप्पणी की कि यदि जनहित की परिभाषा को शराब की मात्रा तक सीमित कर दिया जाए तो नियम 12A का प्रभाव असफल हो जाएगा और उसके उद्देश्य की पूर्ति बाधित होगी। 'जनहित' को उसी वैधानिक ढाँचे के अनुसार समझा जाना चाहिए, जिसमें यह नियम बनाया गया।

    अंत में हाईकोर्ट ने कलेक्टर और एसडीएम का आदेश रद्द करते हुए पूरे मामले को उप-मंडल पदाधिकारी, गोपालगंज के पास पुनर्विचार के लिए भेज दिया। एसडीएम को निर्देश दिया गया कि वे नियम 12A के पूर्ण ढाँचे को ध्यान में रखते हुए एक महीने के भीतर नया आदेश पारित करें।

    यह निर्णय बिहार में निषेध कानून के तहत जब्त वाहनों की रिहाई से जुड़े मामलों में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करता है और जनहित की अवधारणा के दायरे को स्पष्ट करता है।

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