केवल इस आधार पर आर्म्स लाइसेंस देने से इनकार नहीं किया जा सकता कि आवेदक को कोई विशेष सुरक्षा खतर नहीं है: पटना हाईकोर्ट
Amir Ahmad
3 Dec 2024 12:21 PM IST
पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि किसी व्यक्ति को आर्म्स लाइसेंस देने से केवल इस आधार पर इनकार नहीं किया जा सकता कि आवेदक को कोई विशेष सुरक्षा खतरा या आसन्न खतरा नहीं है।
जस्टिस मोहित कुमार शाह ने जिला मजिस्ट्रेट, खगड़िया और संभागीय आयुक्त, मुंगेर के आदेशों को खारिज कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ता को शस्त्र लाइसेंस देने से केवल इसलिए इनकार कर दिया गया, क्योंकि उनकी जान को कोई खतरा नहीं है।
बिहार राज्य और अन्य बनाम दीपक कुमार (2019) और एक अन्य निर्णय में हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए न्यायालय ने कहा,
“यह न्यायालय पाता है कि इस न्यायालय की खंडपीठ ने 21.1.2019 के निर्णय द्वारा, एलपीए संख्या 758/2018 (बिहार राज्य एवं अन्य बनाम दीपक कुमार) ((2019 एससीसी ऑनलाइन पैट 3759 में रिपोर्ट किया गया) और साथ ही एलपीए संख्या 459/2018 (बिहार राज्य एवं अन्य बनाम मनीष कुमार) वाली एक अन्य अपील में स्पष्ट रूप से माना है कि आवेदक के लिए किसी विशिष्ट सुरक्षा खतरे या आसन्न खतरे की अनुपस्थिति शस्त्र लाइसेंस देने के लिए आवेदक के आवेदन को अस्वीकार करने का आधार नहीं हो सकती, क्योंकि यह शस्त्र नियम, 2016 द्वारा निर्धारित लाइसेंस देने के इरादे के विपरीत होगा।”
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि जिला मजिस्ट्रेट, खगड़िया द्वारा पारित आदेश से पता चलता है कि याचिकाकर्ता का शस्त्र लाइसेंस देने के लिए आवेदन शस्त्र लाइसेंस देने को केवल इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि पिछले तीन वर्षों से याचिकाकर्ता को अपनी जान को कोई खतरा नहीं है।
उन्होंने कहा कि मुंगेर प्रमंडल के प्रमंडलीय आयुक्त ने डीएम के आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता की अपील केवल इस आधार पर खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता को किसी तरह का खतरा नहीं है।
उन्होंने तर्क दिया कि यह एक सुस्थापित कानून है कि यह आवश्यक नहीं है कि आवेदक को शस्त्र लाइसेंस देने के लिए खतरा मौजूद हो। इस बीच राज्य ने तर्क दिया कि चूंकि याचिकाकर्ता को किसी तरह का खतरा नहीं है, इसलिए शस्त्र लाइसेंस देने के लिए याचिकाकर्ता के आवेदन को जिला मजिस्ट्रेट खगड़िया द्वारा सही तरीके से खारिज कर दिया गया। 15 नवंबर, 2019 के अपीलीय आदेश के संबंध में कोई त्रुटि नहीं है और रिट याचिका खारिज किए जाने योग्य है।
न्यायालय ने कहा कि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यह भी कहा कि यदि आवेदक को वास्तविक खतरा या आसन्न खतरे की आशंका नहीं है तो वह शस्त्र लाइसेंस के लिए पात्र होगा। बशर्ते वह प्राधिकारी को लाइसेंस प्रदान करने के लिए उसके व्यापार और पेशे की प्रकृति को ध्यान में रखने के लिए राजी कर सके। [आर्म्स रूल्स 2016 के नियम 12(3)(ए) के तहत प्रावधानित]
न्यायालय ने कहा,
“मैं खगड़िया के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित दिनांक 15.3.2018 के आदेश तथा मुंगेर डिवीजन, मुंगेर के डिवीजनल कमिश्नर द्वारा पारित दिनांक 15.11.2019 का आदेश रद्द करना उचित समझता हूँ तथा मामले को नए सिरे से विचार के लिए खगड़िया के जिला मजिस्ट्रेट को वापस भेजता हूँ, जो याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के पश्चात इस आदेश की प्रति प्राप्त होने/पेश होने के बारह सप्ताह की अवधि के भीतर, कानून के अनुसार तथा आर्म्स रूल्स, 2016 में निहित प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए शस्त्र लाइसेंस प्रदान करने के लिए याचिकाकर्ता के आवेदन पर नए आदेश पारित करेंगे।”
तदनुसार याचिका को अनुमति दी गई।
केस टाइटल: रंजन कुमार मंडल बनाम बिहार राज्य और अन्य