पति द्वारा छोड़े जाने के बाद महिला का पिता के दूसरे धर्म के दोस्त के घर में रहना अडल्ट्री नहीं: पटना हाइकोर्ट

Amir Ahmad

13 March 2024 7:44 AM GMT

  • पति द्वारा छोड़े जाने के बाद महिला का पिता के दूसरे धर्म के दोस्त के घर में रहना अडल्ट्री नहीं: पटना हाइकोर्ट

    पटना हाइकोर्ट ने कहा कि अपने पति द्वारा छोड़े जाने के बाद महिला द्वारा अपने पिता के दोस्त, जो अलग धर्म का पालन करता है, उसके घर में शरण लेने का कृत्य अडल्ट्री नहीं।

    इस बात पर जोर देते हुए कि न्यायालय सभी रिश्तों पर यौन संबंधों के संदर्भ में विचार नहीं कर सकता।

    जस्टिस बिबेक चौधरी की पीठ ने इस प्रकार कहा,

    "यदि पिता के मित्र के घर में रहना अडल्ट्री है तो समाज में कोई सामाजिक बंधन नहीं हो सकता है। यदि इस न्यायालय को यह मानने के लिए राजी किया जाता है कि विवाहित महिला द्वारा अलग धर्म के बूढ़े व्यक्ति के घर में रहना अडल्ट्री है। अडल्ट्री को पुरुष और पुरुष, स्त्री और पुरुष के बीच के संपूर्ण सामाजिक संबंधों की तुलना में केवल यौन संबंधों के संदर्भ में ही देखा जाना चाहिए।"

    एकल न्यायाधीश ने यह टिप्पणी पति द्वारा दायर याचिका खारिज करते हुए की, जिसमें अदालत से यह घोषित करने की मांग की गई कि उसकी पत्नी भरण-पोषण की हकदार नहीं है (धारा 125 सीआरपीसी की उपधारा (5) के अनुसार), क्योंकि वह अडल्ट्रस जीवन जी रही है। कोर्ट ने बिल्कुल विकृत याचिका दायर करने के लिए याचिकाकर्ता पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया ।

    मामला संक्षेप में

    यह याचिकाकर्ता का मामला था कि उसकी पत्नी जो कि धर्म से हिंदू है, मुस्लिम धर्म से संबंधित किसी अन्य व्यक्ति के साथ रह रही है और उसका कृत्य आईपीसी की धारा 497 के तहत अडल्ट्री की श्रेणी में आता है। चीफ जस्टिस, फैमिली कोर्ट, बक्सर द्वारा उनकी याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने हाइकोर्ट का रुख किया।

    अदालत के समक्ष उसके वकील ने तर्क दिया कि यह तथ्य कि वह एक वृद्ध व्यक्ति के साथ रह रही थी, याचिकाकर्ता की पत्नी और उसकी मां ने भी स्वीकार किया।

    हाईकोर्ट की टिप्पणियां

    याचिकाकर्ता के वकील की दलील सुनने के बाद अदालत ने शुरुआत में इस बात पर जोर दिया कि अडल्ट्री की कानूनी परिभाषा पति या पत्नी के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने के तथ्य से संबंधित है इसे भी इनमें पत्नी को गुजारा भत्ता न मिलने और उसके तलाक के प्रमुख कारण से एक माना जाता है।

    इसके अलावा मामले के तथ्यों के अपने विश्लेषण में अदालत ने कहा कि हालांकि यह स्वीकार किया गया कि याचिकाकर्ता की पत्नी मुस्लिम व्यक्ति के साथ रह रही है। किसी महिला पर अवैध संबंध का आरोप लगाने के सम्बंध में अदालत ने कहा कि किसी एक पक्ष द्वारा दिए गए अकेले बयान को नहीं चुना जा सकता।

    इस संबंध में अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की पत्नी के बयान के अनुसार वह जिस व्यक्ति के साथ रह रही है, वह उसके पिता का दोस्त है, जिनकी उम्र लगभग 60 वर्ष है। पत्नी के बयान के इस हिस्से को याचिकाकर्ता के वकील द्वारा जानबूझकर ध्यान में नहीं रखा गया।

    कहा गया,

    "जिस महिला को उसके पति ने छोड़ दिया, वह अपने पिता के दोस्त के घर में आश्रय लेती है। याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया कि वह महिला अपने पिता के दोस्त के साथ क्यों रह रही है। खासकर जब उसका मामा बक्सर में है। यह अडल्ट्री का आधार नहीं हो सकता है।"

    कोर्ट ने आगे टिप्पणी की,

    "मान लीजिए कि प्रतिवादी नंबर 2 के बीच शारीरिक संबंध है, जो अडल्ट्री के बराबर है।"

    इस पृष्ठभूमि में, प्रतिवादी नंबर 2/पत्नी को 20,000/- रुपये का भुगतान करने के साथ पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी गई।

    केस टाइटल - राजेश कुमार बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

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