पटना हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों के लिए प्रति वर्ष वेतन वृद्धि तय करने तथा अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए दो वेतन वृद्धि की अनुमति देने को खारिज किया

Amir Ahmad

25 July 2024 6:35 AM GMT

  • पटना हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों के लिए प्रति वर्ष वेतन वृद्धि तय करने तथा अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए दो वेतन वृद्धि की अनुमति देने को खारिज किया

    पटना हाईकोर्ट ने बुधवार (24 जुलाई) को बिहार सरकार द्वारा किया गया संशोधन खारिज कर दिया, जिसमें कथित तौर पर राज्य सरकार के कर्मचारियों और न्यायिक अधिकारियों के बीच पदोन्नति/नियुक्ति/वित्तीय अवनति के बाद वेतन वृद्धि प्रदान करने की तिथि के संबंध में भेदभाव किया गया था। संशोधन के माध्यम से सरकार ने कहा था कि बिहार में न्यायिक अधिकारी वर्ष में केवल एक बार वेतन वृद्धि प्राप्त करने के हकदार होंगे।

    वहीं न्यायालय ने कहा कि राज्य के न्यायिक अधिकारी राज्य के अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह एक के बजाय वर्ष में दो तिथियों पर वेतन वृद्धि प्राप्त करने के हकदार होंगे।

    याचिकाकर्ता अजीत कुमार सिंह, जो वर्तमान में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं, उन्होंने व्यक्तिगत हैसियत से तथा बिहार न्यायिक सेवा संघ के सचिव के रूप में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और बिहार राज्य में न्यायिक अधिकारियों के पक्ष में आवाज उठाई।

    उठाया गया मुद्दा दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (NJPC) तथा वेतन वृद्धि के अनुदान के संबंध में है, जो न्यायिक अधिकारियों सहित सभी सरकारी कर्मचारियों पर लागू बिहार सरकार के प्रस्ताव के अनुसार किया गया।

    रिट याचिका में निपटाया गया विशेष मुद्दा सरकारी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध वेतन वृद्धि की तिथि की प्रयोज्यता है। इसे विशेष रूप से न्यायिक अधिकारियों के लिए संशोधित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप वेतन वृद्धि की पूर्व निर्धारित तिथि को संशोधित किया गया तथा उनसे धन वापसी का आदेश दिया गया।

    सरकारी कर्मचारियों और न्यायिक अधिकारी पर लागू प्रस्ताव में पदोन्नति/नियुक्ति/वित्तीय उन्नयन की तिथि के आधार पर दो तिथियों यानी 1 जनवरी या 1 जुलाई को वेतन वृद्धि प्रदान करने का प्रावधान है।

    याचिकाकर्ता का मामला यह था कि बाद की अधिसूचना द्वारा राज्य सरकार ने न्यायिक अधिकारियों के लिए वेतन वृद्धि की तिथि को दो तिथियों के बजाय तिथि तक सीमित कर दिया, जैसा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों और न्यायिक अधिकारियों दोनों पर लागू होता है।

    याचिकाकर्ता के अनुसार, न्यायिक अधिकारियों को वेतन वृद्धि के लिए पहले निर्धारित तिथि के दौरान प्राप्त वेतन वृद्धि की राशि वापस करने के लिए कहा गया, जिसमें कहा गया कि न्यायिक अधिकारी दो तिथियों के बजाय केवल एक तिथि पर वेतन वृद्धि के हकदार थे।

    याचिकाकर्ता की दलीलों में दम पाते हुए चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की पीठ ने कहा कि यह प्रस्ताव राज्य के सरकारी कर्मचारियों और न्यायिक अधिकारियों दोनों पर लागू है, इसलिए राज्य सरकार न्यायिक अधिकारियों को राज्य सरकार के कर्मचारियों द्वारा प्राप्त दो तिथियों पर वेतन वृद्धि प्राप्त करने के अधिकार से वंचित नहीं कर सकती।

    चीफ जस्टिस द्वारा लिखे गए फैसले में कहा गया,

    "जब राज्य सरकार द्वारा सभी सरकारी कर्मचारियों को लाभ दिया गया तो न्यायिक अधिकारियों के संबंध में राज्य द्वारा इसे संशोधित करने का कोई कारण नहीं है। यह उन्हें अन्य सरकारी कर्मचारियों से भेदभावपूर्ण बनाता है और वेतन वृद्धि के उनके अधिकार को भी प्रभावित करता है, जैसा कि अन्य सभी सरकारी कर्मचारियों को प्रदान किया जाता है।"

    न्यायालय ने राज्य सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया कि न्यायिक अधिकारी का वेतन वृद्धि राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एनजेपीसी) की सिफारिशों के अनुसार वर्ष में एक बार तय की गई।

    अदालत ने कहा,

    "केवल दूसरी NJPC में की गई इस सिफारिश के आधार पर कि वेतन वृद्धि सामान्य रूप से नियुक्ति या पदोन्नति या वित्तीय उन्नयन की तिथि के अनुसार वर्ष में एक बार होगी। न्यायिक अधिकारियों को राज्य द्वारा सभी सरकारी कर्मचारियों को दिए जाने वाले लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता।"

    अदालत ने राज्य सरकार द्वारा किए गए संशोधन को खारिज कर दिया और कहा कि न्यायिक अधिकारी एक तिथि के बजाय दो तिथियों पर वेतन वृद्धि प्राप्त करने के हकदार होंगे। साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को न्यायिक अधिकारियों से की गई वसूली को वापस करने का निर्देश दिया।

    कोर्ट ने कहा,

    “हम अनुलग्नक-P3 को इस सीमा तक अलग रखते हैं कि इसने वेतन वृद्धि के अनुदान को संशोधित किया है। न्यायिक अधिकारी भी अनुलग्नक-P2 के अनुसार अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू वेतन वृद्धि की तिथि के हकदार होंगे। की गई वसूली न्यायिक अधिकारियों को तुरंत वापस कर दी जाएगी और न्यायिक अधिकारियों के संबंध में वेतन वृद्धि बिहार राज्य में प्रचलित प्रक्रिया के अनुसार जारी रहेगी, जैसा कि अनुलग्नक-P2 द्वारा प्रमाणित है।”

    केस टाइटल- अजीत कुमार सिंह बनाम बिहार राज्य और अन्य

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