मेघालय हाईकोर्ट ने नाबालिग प्रेमिका को बेहोश करने के बाद उसका यौन शोषण करने वाले लड़के की सजा बरकरार रखी

Amir Ahmad

22 July 2024 6:55 AM GMT

  • मेघालय हाईकोर्ट ने नाबालिग प्रेमिका को बेहोश करने के बाद उसका यौन शोषण करने वाले लड़के की सजा बरकरार रखी

    मेघालय हाईकोर्ट ने लड़के की सजा की पुष्टि की। उक्त लड़के ने अपनी यौन इच्छा/वासना को पूरा करने के लिए उसे अस्थायी रूप से नशीला पदार्थ देकर अपनी प्रेमिका पर गंभीर यौन हमला किया था।

    आरोपी और नाबालिग पीड़ित लड़की के बीच प्रेम संबंध थे। हालांकि नाबालिग द्वारा उसके साथ यौन संबंध बनाने से इनकार करने के बाद आरोपी ने लड़की को चाय में बेहोशी की दवा देकर उसके साथ गंभीर यौन हमला किया।

    आरोपी ने दलील दी कि IPC की धारा 376 (2) के तहत 20 साल की सजा को घटाकर 10 साल किया जा सकता है, क्योंकि यौन संबंध पीड़िता की सहमति से प्रेम संबंध पर आधारित था।

    यह पाते हुए कि मेडिकल रिपोर्ट पीड़िता की गवाही की पुष्टि करती है, चीफ जस्टिस एस. वैद्यनाथन और जस्टिस डब्ल्यू. डिएंगदोह की पीठ ने आरोपी को दी गई सजा में हस्तक्षेप करने से इनकार किया।

    अदालत ने कहा,

    “आरोपी और पीड़ित लड़की के बीच प्रेम संबंध था लेकिन पीड़ित लड़की के बार-बार यौन संबंध बनाने से इनकार करने के कारण आरोपी ने चाय में कुछ नशीला पदार्थ मिलाकर उसे बेहोश कर दिया। उसके बाद उसने पीड़ित लड़की पर गंभीर यौन हमला किया, जो बेहद निंदनीय है और लड़की के साथ विश्वासघात है।"

    साथ ही अदालत ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में देरी के तर्क को भी खारिज कर दिया।

    हिमाचल प्रदेश राज्य बनाम प्रेम सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर भरोसा करते हुए, जिसे एआईआर 2009 एससी 1010 में रिपोर्ट किया गया, चीफ जस्टिस द्वारा लिखित निर्णय में कहा गया कि एफआईआर दर्ज करने में देरी अभियोजन पक्ष का मामला खारिज करने का वैध आधार नहीं होगी, क्योंकि नाबालिग लड़की से संबंधित मामले को अत्यंत सावधानी से संभाला जाना चाहिए। समय-सीमा के भीतर एफआईआर दर्ज करने का कोई सख्त नियम नहीं है।

    उपर्युक्त टिप्पणियों को देखते हुए न्यायालय ने अपील खारिज कर दी।

    केस टाइटल- मिहकाहटनगेन सरुबाई बनाम मेघालय राज्य और अन्य।

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