मेघालय हाईकोर्ट ने खासी समुदाय के जनजाति प्रमाणपत्र से जुड़ी जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया
Amir Ahmad
30 Jun 2025 11:52 AM IST

मेघालय हाईकोर्ट ने शुक्रवार (27 जून) को राज्य के जिला परिषद मामलों के विभाग को नोटिस जारी करते हुए यह निर्देश दिया कि वह रिपोर्ट दायर करें, जिसमें खासी समुदाय के उन व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र जारी करने पर अपना पक्ष रखें, जो पिता या माता के उपनाम को अपनाते हैं या महिलाएं अपने पति का उपनाम अपनाती है।
चीफ जस्टिस आई. पी. मुखर्जी और जस्टिस डब्ल्यू. डिएंगडोह की खंडपीठ ने Syngkhong Rympei Thymmai नामक एक रजिस्टर्ड सोसायटी द्वारा दायर जनहित याचिका को स्वीकार किया, जो सामाजिक कल्याण विभाग द्वारा अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र जारी करने से संबंधित है।
अदालत ने कहा,
“हम यह समझना चाहते हैं कि किसी व्यक्ति द्वारा अपनी माता या पिता का उपनाम अपनाने से किस प्रकार प्राधिकरण की यह बाध्यता बदल सकती है कि वह खासी को रजिस्टर्ड करे और उसे 'जनजाति प्रमाणपत्र' प्रदान करे।”
अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि संविधान के अनुच्छेद 244(2) और 275(1) के तहत छठी अनुसूची में विशेष दर्जा और अधिकार प्रदान किए गए, जिसमें मेघालय शामिल है।
याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि मुख्य मुद्दा सामाजिक कल्याण विभाग द्वारा अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र जारी करने से जुड़ा है।
21 जुलाई, 2020 को विभाग ने जिला परिषद मामलों के विभाग से प्राप्त सलाह के आधार पर ईस्ट खासी हिल्स जिले के डिप्टी कमिश्नर को सूचित किया था कि लाइनिज एक्ट 1997 उन आवेदकों को प्रमाणपत्र जारी करने पर रोक नहीं लगाता, जो पिता या माता का उपनाम अपनाते हैं या गैर-खासी पत्नी अपने पति का उपनाम अपनाती है।
21 मई, 2024 को एक पत्र जारी कर विभाग ने 21 जुलाई, 2020 के पत्र को और उसमें निहित निर्णय को वापस ले लिया। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप खासी समुदाय को अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया रुक गई है।
अदालत ने कहा,
“हमने खासी हिल्स स्वायत्त जिला (खासी सामाजिक परंपरा वंशावली) अधिनियम, 1997 को देखा है। यह अधिनियम खासी हिल्स जिले के सभी खासी लोगों पर लागू होता है। धारा 2(एच) में 'खासी' की परिभाषा दी गई है और धारा 3 में प्रावधान है कि जहां दोनों माता-पिता खासी हों या उनमें से कोई एक खासी हो, वहां संतान भी खासी मानी जाएगी। हालांकि प्रत्येक प्रकार की संतान को अलग श्रेणी में रखा गया है। धारा 5 में खासी जनजाति प्रमाणपत्र के रजिस्ट्रेशन और जारी करने का प्रावधान है।”
कोर्ट ने जिला परिषद मामलों के विभाग को निर्देश दिया कि वह इस संबंध में अपनी रिपोर्ट 23 जुलाई तक दाखिल करें।
टाइटल: Syngkhong Rympei Thymmai बनाम राज्य मेघालय एवं अन्य

