तथाकथित कारणों से बार-बार न्यायालय बहिष्कार उचित नहीं, यह न्यायपालिका के लिए चिंता का विषय: मद्रास हाईकोर्ट
Amir Ahmad
19 Jun 2025 4:40 PM IST

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में एडवोकेट संगठनों द्वारा तथाकथित या व्यक्तिगत शिकायतों के आधार पर बार-बार अदालत का बहिष्कार (बॉयकॉट) करने की प्रवृत्ति की आलोचना की। अदालत ने कहा कि ऐसी प्रथा को किसी भी परिस्थिति में सराहा नहीं जा सकता और इसे हतोत्साहित किया जाना चाहिए। यदि किसी वकील को कोई शिकायत है तो उसे बार काउंसिल या सक्षम प्राधिकरण के समक्ष जाना चाहिए, न कि अनावश्यक रूप से बहिष्कार का सहारा लेना चाहिए।
अदालत ने कहा,
"किसी वकील की व्यक्तिगत शिकायत के आधार पर या किसी तुच्छ कारण से बार-बार अदालतों का बहिष्कार किसी भी स्थिति में सराहनीय नहीं है, बल्कि इसकी निंदा की जानी चाहिए। केवल किसी सार्वजनिक या सामूहिक मुद्दे की स्थिति में ही वकीलों को अपनी शिकायतों के निवारण के लिए बार काउंसिल या सक्षम प्राधिकरण से संपर्क करना चाहिए। इसके विपरीत, अनावश्यक रूप से बहिष्कार का सहारा लेना न्यायिक कार्यवाही में बाधा डालता है।"
जस्टिस एस.एम. सुब्रमण्यम और जस्टिस ए.डी. मारिया क्लेट की खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी बार-बार होने वाले न्यायालय बहिष्कार की निंदा की है और यह दोहराया कि वकीलों को अपनी शिकायतों के समाधान के लिए उपयुक्त मंच का रुख करना चाहिए।
अदालत ने यह भी कहा कि वकील न्याय वितरण प्रणाली में हिस्सेदार होते हैं और उनकी अनुपस्थिति न्यायिक कार्यवाही को प्रभावित करती है।
अदालत ने आगे कहा,
“वकील न्यायालय के अधिकारी होते हैं। वे न्याय व्यवस्था के साझेदार हैं। उनकी अनुपस्थिति से अदालत की कार्यवाही बाधित होती है। न्यायालय, वकीलों की सहायता के बिना मामलों की सुनवाई और निपटान करने में सक्षम नहीं हो पाता। न्याय वितरण प्रणाली में उनकी सहायता अत्यंत महत्वपूर्ण है।"
यह टिप्पणियां अदालत ने उस याचिका की सुनवाई के दौरान कीं जो आर. जिम द्वारा दायर की गई। उन्होंने तमिलनाडु और पुदुचेरी बार काउंसिल को निर्देश देने की मांग की थी कि वह तिरुनेलवेली बार एसोसिएशन के दोषी पदाधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करें, क्योंकि उनके द्वारा घोषित बहिष्कार से जनता और उन अधिवक्ताओं को असुविधा हो रही थी जो अदालत में पेश होना चाहते थे।
अदालत ने यह पाया कि याचिकाकर्ता यह साबित नहीं कर सका कि कौन से पदाधिकारी एसोसिएशन के कार्यों में अवैध रूप से शामिल थे। जब तक किसी विशिष्ट अधिवक्ता या पदाधिकारी के खिलाफ स्पष्ट शिकायत नहीं होती बार काउंसिल कोई कार्रवाई नहीं कर सकती।
इसके बाद याचिकाकर्ता ने अदालत को सूचित किया कि वह अवैध गतिविधियों में संलिप्त अधिवक्ताओं के खिलाफ विशेष शिकायत देगा। अदालत ने बार काउंसिल को निर्देश दिया कि शिकायत प्राप्त होने पर एडवोकेट्स एक्ट के तहत उचित कार्रवाई करें।

