मद्रास हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: अब आयुर्वेदिक दवाओं के आयात पर भी जरूरी होगा लाइसेंस, नियमों में बदलाव की सिफारिश
Amir Ahmad
8 July 2025 12:11 PM IST

मद्रास हाईकोर्ट ने आयुर्वेदिक दवाओं के आयात को लेकर अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आयात से जुड़े मौजूदा कानून सिर्फ एलोपैथिक दवाओं तक सीमित नहीं हैं बल्कि आयुर्वेदिक दवाएं भी इन्हीं नियमों के दायरे में आती हैं। हाईकोर्ट ने मौजूदा नियमों में स्पष्टता की कमी को गंभीर बताया और आयुर्वेदिक दवाओं के लिए अलग फॉर्म व मानक निर्धारित करने की सिफारिश की है।
जस्टिस सेंथिलकुमार राममूर्ति की एकल पीठ ने कहा,
“ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट और उसके तहत बने नियम सभी प्रकार की दवाओं पर लागू होते हैं, जिनमें आयुर्वेदिक दवाएं भी शामिल हैं। चूंकि नियमों में आयुर्वेदिक दवाओं के आयात के लिए कोई स्पष्ट आवेदन फॉर्म नहीं है, अतः नियमों में जरूरी संशोधन किया जाना चाहिए।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि आयुर्वेदिक दवाएं, खासकर विदेशी कंपनियों द्वारा निर्मित कभी-कभी भारी धातु जैसे पारा या सीसा जैसे तत्व भी रख सकती हैं, जो जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। ऐसे में इन दवाओं के आयात पर भी उसी सख्ती से नियम लागू होने चाहिए जैसे एलोपैथिक दवाओं पर होते हैं।
मामले की पृष्ठभूमि
यह फैसला Axeon Marketing India की ओर से दाखिल याचिका पर आया, जो भारत में Axe Brand Medicated Oil का अधिकृत वितरक है। कंपनी ने तर्क दिया कि चूंकि उनके उत्पाद आयुर्वेदिक श्रेणी में आते हैं, इसलिए ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स में उल्लिखित आयात फार्म (Form-8, Form-9, Form-10, 10A) उनके लिए लागू नहीं होते।
इसके जवाब में सरकारी पक्ष ने कहा कि 'ड्रग्स' की परिभाषा में आयुर्वेदिक दवाएं भी शामिल हैं, जब नियमों में उनके लिए कोई अलग फार्म नहीं है तो इसका अर्थ यह है कि ऐसी दवाओं का आयात अनुमन्य नहीं है।
कोर्ट का निर्देश
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आयुर्वेदिक दवाओं के आयात पर कोई प्रतिबंध नहीं है लेकिन आयात तभी किया जा सकता है, जब उत्पाद भारत में निर्मित समान आयुर्वेदिक दवाओं के मानकों पर खरे उतरें।
कोर्ट ने आदेश दिया:
याचिकाकर्ता कंपनी की दवा खेप को CDSCO (Central Drugs Standard Control Organisation) से मान्यता प्राप्त लैब में परीक्षण कराया जाए।
टेस्टिंग का खर्च कंपनी वहन करेगी।
लाइसेंसिंग अथॉरिटी की निगरानी में पूरी प्रक्रिया 8 हफ्तों के भीतर पूरी की जाए।
अगर लैब से रिपोर्ट संतोषजनक आती है, तो प्रोडक्ट्स को रिलीज कर दिया जाए।
संसद को सुझाव
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि सरकार चाहे तो आयुर्वेदिक या अन्य पारंपरिक दवाओं के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए संसद कानून में संशोधन कर सकती है।

