नियोक्ता को रिटायरमेंट के कगार पर खड़े कर्मचारी को निलंबित नहीं करना चाहिए, यह जनहित में नहीं होगा: मद्रास हाइकोर्ट ने दोहराया

Amir Ahmad

16 May 2024 12:39 PM IST

  • नियोक्ता को रिटायरमेंट के कगार पर खड़े कर्मचारी को निलंबित नहीं करना चाहिए, यह जनहित में नहीं होगा: मद्रास हाइकोर्ट ने दोहराया

    मद्रास हाइकोर्ट ने दोहराया कि नियोक्ता किसी कर्मचारी को उसकी रिटायरमेंट की तिथि पर या रिटायरमेंट के कगार पर निलंबित नहीं कर सकता है और काफी समय बीत जाने के बाद अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू नहीं कर सकता।

    जस्टिस आरएन मंजुला ने कहा कि कर्मचारी को निलंबित करना और काफी समय बीत जाने के बाद चार्ज मेमो जारी करना न केवल मजाक होगा, बल्कि इससे सरकार को भी असुविधा होगी। सरकारी कर्मचारियों का मनोबल भी गिरेगा, जिन्होंने रिटायरमेंट की आयु प्राप्त करने तक अपनी सेवाएं दी हैं।

    बार-बार यह माना जाता है कि नियोक्ता को किसी कर्मचारी को उसकी रिटायरमेंट की तिथि पर या रिटायरमेंट के कगार पर निलंबित करने और काफी समय बीत जाने के बाद अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने की प्रथा का सहारा नहीं लेना चाहिए।

    न्यायालय ने कहा,

    "सरकार ने स्वयं कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार (N) विभाग के दिनांक 08.06.2007 के जी.ओ.(MS) नंबर 144 में दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि कर्मचारियों को अंतिम समय में अर्थात उनकी रिटायरमेंट की तिथि पर निलंबन आदेश जारी न किए जाएं।"

    न्यायालय के. सरवनन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा द्वारा जारी किए गए चार्ज मेमो को चुनौती दी गई। सरवनन ने तर्क दिया कि उन्हें निलंबन आदेश उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि पर ही जारी किया गया। उस समय भी उन्हें चार्ज मेमो नहीं दिया गया।

    उन्होंने तर्क दिया कि आरोप तीसरे पक्ष को संतुष्ट करने के लिए जारी किए गए, जो उनसे दुश्मनी रखते थे। हालांकि विभाग ने तर्क दिया कि सरवनन ने धोखाधड़ी से नौकरी हासिल की थी और तथ्यों को छिपाना गंभीर दोष था। न्यायालय ने कहा कि कार्रवाई सरकार के कहने पर स्वतः संज्ञान लेकर नहीं की गई, बल्कि तीसरे पक्ष से शिकायत मिलने पर की गई।

    न्यायालय ने कहा कि यह विशिष्ट मामला है, जहां सरकार की शक्तियों का प्रयोग कर्मचारी के हितों के प्रतिकूल तरीके से किया गया।

    न्यायालय ने पाया कि विभाग की विलंबित कार्रवाई उसके अपने सरकारी आदेशों के पूर्णतया विपरीत है, जो चार्ज मेमो सहित सभी अनुवर्ती कार्यवाही को दूषित कर देगी। न्यायालय ने कहा कि विभागीय कार्यवाही को जारी रखने की अनुमति देना याचिकाकर्ता के हितों के प्रतिकूल होगा। न्यायालय ने कहा कि किसी कर्मचारी को रिटायरमेंट की तिथि पर ही निलम्बित करने से अधिक मानसिक पीड़ा नहीं हो सकती।

    इस प्रकार न्यायालय ने याचिका स्वीकार कर ली तथा विभाग द्वारा जारी चार्ज मेमो रद्द कर दिया। न्यायालय ने विभाग को यह भी निर्देश दिया कि वह सरवनन को सभी लाभों के साथ सेवानिवृत्त होने की अनुमति दे तथा छह सप्ताह की अवधि के भीतर टर्मिनल लाभ जारी करे।

    केस टाइटल- के सरवनन बनाम स्कूल शिक्षा के संयुक्त निदेशक तथा अन्य

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