मद्रास हाईकोर्ट ने कथित संपत्ति क्षति मामले में ईशा योग केंद्र के प्रशासक के खिलाफ जांच पर रोक लगाई
Amir Ahmad
12 July 2024 12:55 PM IST
मद्रास हाईकोर्ट ने ईशा योग केंद्र के प्रशासक के खिलाफ दर्ज मामले की जांच पर रोक लगा दी, जिसमें योग केंद्र का दौरा करने वाले थांथाई पेरियार द्रविड़र कलगम के सदस्यों के वाहनों को कथित रूप से नुकसान पहुंचाने का आरोप है।
कोयंबटूर जिला पुलिस ने थांथाई पेरियार द्रविड़र कझगम के महासचिव के रामकृष्णन की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया। आरोप है कि जब रामकृष्णन अपने कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ इस धारणा पर परिसर में गए कि केंद्र ने अनुसूचित जनजातियों को आवंटित 44.3 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया है और उचित अनुमति के बिना विद्युत शवदाह गृह बनाने की कोशिश कर रहा है तो उन्हें धमकाया गया और उनके वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया गया।
इस प्रकार तमिलनाडु सार्वजनिक संपत्ति (क्षति और हानि की रोकथाम) अधिनियम 1992 की धारा 3 के साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 341 और 506 (1) के तहत अपराधों के लिए मामला दर्ज किया गया।
जस्टिस जी जयचंद्रन ने अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने पर अंतरिम रोक लगाते हुए कहा कि रामकृष्णन और उनके आदमियों के लिए परिसर में जाने का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि अभिलेखों से पता चला है कि भूमि अनुसूचित जनजाति समुदाय को आवंटित नहीं की गई थी।
अदालत ने कहा,
“यह न्यायालय शिकायत का अध्ययन करने पर पाता है कि वास्तविक शिकायतकर्ता द्वारा याचिकाकर्ता की संपत्ति पर जाने का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि तहसीलदार के कार्यालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार उक्त 44.30 एकड़ भूमि अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को आवंटित भूमि नहीं है। इसके अलावा शिकायत में जिस वाहन में वे यात्रा कर रहे थे और उसमें हुए नुकसान की प्रकृति के बारे में कोई विवरण नहीं है। हालांकि, पुलिस ने तमिलनाडु सार्वजनिक संपत्ति (क्षति और हानि की रोकथाम) अधिनियम, 1992 की धारा 3 के तहत अपराध के लिए मामला दर्ज किया है।”
प्रशासक दिनेश राजा ने तर्क दिया कि शिकायत दर्ज करने का आधार ही झूठा था और द्वेष के साथ दावा किया गया कि संस्था ने अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए आवंटित भूमि पर अतिक्रमण किया। उन्होंने कहा कि आरटीआई अधिनियम (RTI Act) के तहत लोक सूचना अधिकारी और मुख्यालय उप तहसीलदार से प्राप्त जानकारी के आधार पर भूमि पर अतिक्रमण नहीं किया गया।
राजा ने आगे कहा कि अधिकारियों से उचित अनुमति प्राप्त करने के बाद विद्युत शवदाह गृह का निर्माण किया गया और अदालत को सूचित किया कि इस मुद्दे के संबंध में हाईकोर्ट में रिट याचिका भी लंबित है। उन्होंने कहा कि विद्युत शवदाह गृह के निर्माण को रोकने में विफल रहने के बाद वास्तविक शिकायतकर्ता गलत इरादे से शिकायत दर्ज कर रहे थे।
अदालत को यह भी बताया गया कि हालांकि संस्थान ने रामकृष्णन और उनके लोगों के खिलाफ संपत्ति में अतिक्रमण करने और नुकसान पहुंचाने के लिए शिकायत दर्ज करने की कोशिश की थी लेकिन उन्होंने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया।
यह भी कहा गया कि रामकृष्णन के खिलाफ शिकायत के विवरण जानने के बाद भी पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज की जिसमें कोई विवरण नहीं था।
अदालत ने इस पर गौर करते हुए अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया। अदालत ने रामकृष्णन को 21 अगस्त, 2024 तक जवाब देने के लिए नोटिस भी जारी किया और मामले को स्थगित कर दिया।
केस टाइटल- दिनेश राजा सीआर बनाम राज्य