मद्रास हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडर और इंटरसेक्स समुदाय को क्षैतिज आरक्षण प्रदान करने पर राज्य सरकार से निर्णय मांगा
Amir Ahmad
6 Aug 2025 11:35 AM IST

मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को ट्रांसजेंडर और इंटरसेक्स व्यक्तियों को क्षैतिज आरक्षण प्रदान करने पर निर्णय लेने का निर्देश दिया।
जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने कहा कि इस संबंध में निर्णय लिया जाना आवश्यक है ताकि ट्रांसजेंडर और इंटरसेक्स व्यक्तियों को हर बार अदालत का दरवाजा खटखटाकर सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की मांग न करनी पड़े।
अदालत ने कहा,
"यह स्पष्ट नहीं है कि क्या सरकार ट्रांसजेंडर और इंटरसेक्स व्यक्तियों को क्षैतिज आरक्षण प्रदान करना चाहती है, जिसकी मांग समुदाय द्वारा हमेशा से की जाती रही है और जो विभिन्न न्यायालयों द्वारा पारित कई पूर्व आदेशों में परिलक्षित हुआ है। इसमें रक्षिका राज बनाम तमिलनाडु राज्य एवं अन्य (2024 3 एमएलजे 684) में इस न्यायालय का निर्णय भी शामिल है, जिसमें नालसा बनाम भारत संघ (2014) 5 एससीसी 438 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का भी उल्लेख है। इसलिए राज्य सरकार को इस संबंध में निर्णय लेने का निर्देश दिया जाता है ताकि ट्रांसजेंडर और इंटरसेक्स व्यक्तियों को हर बार इस न्यायालय का दरवाजा खटखटाने और सार्वजनिक रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की मांग करने की आवश्यकता न पड़े।"
अदालत ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए तमिलनाडु राज्य नीति 2025 लाने के लिए राज्य सरकार की भी सराहना की, जिससे यह देश का 7वां राज्य बन गया, जिसने ट्रांसजेंडर और इंटरसेक्स व्यक्तियों के लिए नीति लाई।
न्यायालय ने कहा,
“सबसे पहले यह न्यायालय ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए नीति लागू करने के लिए तमिलनाडु सरकार की सराहना करता है, जिसे 31.07.2025 से प्रभावी किया गया। ऐसी नीति छह राज्यों द्वारा लाई गई और तमिलनाडु सातवां राज्य है, जिसने ट्रांसजेंडर और इंटरसेक्स व्यक्तियों के लिए नीति लागू की है। इसलिए यह न्यायालय इस नीति को लाने के लिए तमिलनाडु सरकार की सराहना करना चाहता है।”
न्यायालय ने कहा कि नीति में ट्रांसजेंडर और इंटरसेक्स व्यक्तियों के जीवन सुरक्षा स्वास्थ्य और कल्याण को शामिल किया गया। न्यायालय ने समुदाय के लोगों द्वारा दिए गए सुझावों पर भी विचार किया।
इनमें से एक चिंता नीति के कार्यान्वयन की प्रगति की निगरानी और पुनर्विचार के लिए स्थापित जिला स्तरीय और राज्य स्तरीय समिति के कामकाज के संबंध में थी। न्यायालय ने राज्य से यह सुनिश्चित करने को कहा कि समिति के प्रभावी संचालन के लिए समिति में कम से कम एक ट्रांसवुमन, ट्रांसमैन और इंटरसेक्स व्यक्ति हो।
ट्रांसजेंडर और इंटरसेक्स व्यक्तियों के विवाह के संबंध में न्यायालय ने कहा कि इसे पहले ही मान्यता प्राप्त है। राज्य सरकार से अनुरोध किया कि वह इन विवाहों की कानूनी स्वीकृति के संबंध में रजिस्ट्रार को आवश्यक निर्देश जारी करे।
न्यायालय ने आगे कहा कि इन सुझावों को राज्य की गलती मानने के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए, बल्कि ये राज्य से नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने का अनुरोध मात्र हैं। यह देखते हुए कि LGBTQA+ व्यक्तियों के लिए एक अलग नीति विचाराधीन है।
न्यायालय ने राज्य को इस प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: एस सुहमा बनाम पुलिस महानिदेशक

