मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने तेंदुए के शिकार के आरोपी को जमानत देने से किया इनकार, अपराध की गंभीरता का हवाला दिया
Amir Ahmad
24 Jan 2025 11:25 AM IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत तेंदुए के शिकार में शामिल होने के आरोपी को कथित अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत देने से इनकार किया।
जस्टिस देवनारायण मिश्रा ने अपने आदेश में कहा,
"मैंने तेंदुए की पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया कि तेंदुए की मौत बिजली के करंट से हुई। घटनास्थल यानी आवेदक के घर में साही के पंख के अवशेष मिले हैं। घटनास्थल के नक्शे से पता चलता है कि बिजली की लाइन गुजरी है। अभियोजन पक्ष के अनुसार आवेदक ने छोटे-छोटे लकड़ियों को एक पैटर्न में बांधने के बाद उनमें जी.आई. केबल डाली और बिजली की आपूर्ति की और जब तेंदुआ उस जाल के संपर्क में आया तो तेंदुआ मर गया। तथ्यों और अपराध की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय आवेदक को जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं है।"
याचिकाकर्ता ने वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 9 (शिकार पर प्रतिबंध), 2(16) (शिकार की परिभाषा), 39 (जंगली जानवरों आदि को सरकारी संपत्ति मानना), 50 (प्रवेश, तलाशी, गिरफ्तारी और हिरासत की शक्ति), 51 (दंड) और 52 (प्रयास और उकसावा) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए नियमित जमानत की मांग करते हुए याचिका दायर की थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को झूठा फंसाया गया। उसे केवल वन दस्ते के कुत्ते के आधार पर गिरफ्तार किया गया, जो उसके घर में आया और उस पर भौंका।
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने कोई अपराध नहीं किया; जबकि उन्होंने कहा कि कुछ अन्य व्यक्ति भी इसमें शामिल थे, लेकिन वन अधिकारियों ने याचिकाकर्ता के घर के पास जले हुए साही के कांटों के आधार पर उसे गिरफ्तार किया।
यह कहा गया कि याचिकाकर्ता आदिवासी समुदाय से है और वन क्षेत्र में रहता है।
यह तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता ने ऐसा कोई जाल नहीं बनाया, जिससे तेंदुए की मौत हुई। इसलिए वकील ने आवेदक को जमानत पर रिहा करने की प्रार्थना की।
राज्य के वकील ने कहा कि तलाशी के दौरान वन दस्ते के कुत्ते याचिकाकर्ता के घर गए, जहां उसके घर में साही के कांटों के कुछ हिस्से जले हुए मिले। राज्य ने कहा कि मौके पर साही के अवशेष मिले और एक तेंदुआ मृत पाया गया।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार तेंदुए की मौत बिजली के झटके से हुई, इसलिए याचिकाकर्ता ने तेंदुए का शिकार किया, जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की पहली अनुसूची में आता है। इस प्रकार याचिकाकर्ता द्वारा गंभीर अपराध किया गया।
अदालत ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया कि तेंदुए की मौत बिजली के करंट से हुई थी। इसके अलावा घटनास्थल यानी आवेदक के घर में साही के कांटों के अवशेष पाए गए।
न्यायालय ने घटनास्थल के नक्शे का भी हवाला दिया, जिसमें पाया गया कि वहां से बिजली की लाइन गुजरी थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार आवेदक ने छोटे-छोटे लकड़ियों को एक पैटर्न में बांधने के बाद उनमें जी.आई. केबल लपेटी और उसमें बिजली का करंट प्रवाहित किया। इस प्रकार तेंदुआ उस जाल के संपर्क में आ गया और उसकी मौत हो गई।
अपराध की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने जमानत याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल: मुनीम सिंह गोंड बनाम मध्य प्रदेश राज्य, विविध आपराधिक प्रकरण संख्या 55260/2024

