इस देश में जुवेनाइल के साथ बहुत नरमी बरती जाती है, विधानमंडल ने निर्भया की भयावहता से अभी तक कोई सबक नहीं सीखा: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

Amir Ahmad

16 Sep 2024 7:36 AM GMT

  • इस देश में जुवेनाइल के साथ बहुत नरमी बरती जाती है, विधानमंडल ने निर्भया की भयावहता से अभी तक कोई सबक नहीं सीखा: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    चार वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार के मामले में जुवेनाइल की सजा बरकरार रखते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जुवेनाइल अपराधियों के मामले में देश में नरम कानूनों पर अफसोस जताया।

    जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने कहा,

    "न्यायालय को एक बार फिर यह टिप्पणी करते हुए दुख हो रहा है कि इस देश में जुवेनाइल के साथ बहुत नरमी से पेश आया जा रहा है। ऐसे अपराधों के पीड़ितों के दुर्भाग्य से विधानमंडल ने निर्भया की भयावहता से अभी तक कोई सबक नहीं सीखा। हालांकि इस देश के संवैधानिक न्यायालयों द्वारा बार-बार ऐसी आवाजें उठाई जा रही हैं, लेकिन पीड़ितों के लिए यह बेहद निराशाजनक है कि वे निर्भया कांड के एक दशक बाद भी विधानमंडल पर कोई प्रभाव नहीं डाल पाए हैं, जो वर्ष 2012 में हुआ था।

    यह टिप्पणी न्यायालय द्वारा यह उल्लेख किए जाने के बाद की गई कि अपीलकर्ता, सात अन्य जुवेनाइल के साथ 13 नवंबर 2019 को फरार हो गया था। उसका पता नहीं चल पाया। सेशन कोर्ट ने अपीलकर्ता को आईपीसी की धारा 376(2)(i)(k) और POCSO Act 2012 की धारा 5(m)(i)/6 के तहत दोषी ठहराया था। दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। यह घटना 29 दिसंबर 2017 को हुई थी जब अपीलकर्ता द्वारा ऊपर ले जाने के बाद पीड़िता की मां ने अपनी चार वर्षीय बेटी को बेहोश पाया और उसके गुप्तांगों से खून बह रहा था।

    अपीलकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि किराए के विवाद के कारण मामला गढ़ा गया और पीड़िता की उम्र के दस्तावेज़ों पर सवाल उठाया। अदालत ने कहा कि पीड़िता की मां जो खुद घटना के तुरंत बाद मौके पर पहुंची थी, जहां उसने अपीलकर्ता को अपनी बेटी के पास खड़ा पाया, जो पहले से ही खून बह रहा था। अपीलकर्ता के खिलाफ झूठा मामला दर्ज करने और असली अपराधी को बचाने का कोई कारण नहीं था। अपीलकर्ता को सही तरीके से दोषी ठहराया गया है।

    इसके अलावा अदालत ने मेडिकल गवाही और परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर पीड़िता की उम्र को विश्वसनीय पाया।

    उन्होंने टिप्पणी की,

    "अभियोजन पक्ष ने पीड़िता की उम्र और उसे लगी चोटों की प्रकृति को पर्याप्त रूप से साबित कर दिया है जो आरोपों की पुष्टि करता है।"

    केस टाइटल- ऋषभ एटले नाबालिग के माध्यम से अगले दोस्त (पिता) जयकिशन एटले बनाम मध्य प्रदेश राज्य

    Next Story