स्कूली लड़कियों को फोन की तलाशी के लिए कपड़े उतारने पर मजबूर करने का आरोप: रिपोर्ट दाखिल न करने पर हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को अवमानना नोटिस जारी किया
Amir Ahmad
15 Nov 2024 12:47 PM IST
सरकारी स्कूल के टीचर द्वारा नाबालिग लड़कियों को मोबाइल फोन की तलाशी के लिए कपड़े उतारने पर मजबूर करने के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने शहर के पुलिस कमिश्नर को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।
चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी की खंडपीठ ने 13 नवंबर के अपने आदेश में कमिश्नर को सुनवाई की अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा।
अदालत ने पहले राज्य सरकार को शिकायत दर्ज होने के बाद उठाए गए कदमों पर व्यापक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। परिणामस्वरूप, भारतीय न्याय संहिता की धारा 76 और 79 तथा किशोर न्याय अधिनियम 2015 (JJ Act) की धारा 75 के तहत FIR दर्ज की गई।
30 अगस्त को न्यायालय ने पुलिस आयुक्त, इंदौर को निर्देश दिया कि वह POCSO Act के मद्देनजर मामले की जांच करें। एक महीने के भीतर रजिस्ट्री के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करें; हालांकि याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि ऐसा नहीं किया गया।
न्यायालय ने निर्देश दिया,
“पुलिस आयुक्त, इंदौर को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए कि 30.08.2024 के उपरोक्त आदेश का पालन न करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए। इस आशय का हलफनामा सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए और पुलिस आयुक्त, इंदौर को अगली सुनवाई की तारीख पर इस न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया जाता है।”
यह आदेश सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्रा द्वारा दायर जनहित याचिका में पारित किया गया, जिन्होंने उस घटना को प्रकाश में लाया, जहां शिक्षक ने कथित तौर पर पांच स्टूडेंट्स की तलाशी ली, जिसमें एक बजता हुआ मोबाइल फोन मिला। शिकायत में कहा गया कि शिक्षक ने उनके कपड़े उतार दिए और उनके साथ मारपीट की।
याचिकाकर्ता ने चिंता जताई है कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम 2012 (POCSO Act) के प्रावधानों पर पुलिस द्वारा उचित रूप से विचार नहीं किया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने इस चूक को उजागर किया और 30 अगस्त को दिए गए पहले पीठ के निर्देश का हवाला दिया, जिसमें अदालत ने इंदौर पुलिस आयुक्त को POCSO Act के तहत मामले की समीक्षा करने और रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था।
याचिकाकर्ता ने मामले में मसौदा दिशानिर्देश भी प्रस्तुत किए और उन्हें रिकॉर्ड पर लाने की मांग की। रजिस्ट्री को इसे रिकॉर्ड पर लेने का निर्देश देते हुए अदालत ने मामले को 25 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
केस टाइटल: चिन्मय मिश्रा बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य