एमपी हाईकोर्ट ने जबलपुर यूनिवर्सिटी के VC पर यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच न होने पर राज्य की मनमानी पर उठाए सवाल, SIT गठित करने का आदेश

Amir Ahmad

27 May 2025 4:30 PM IST

  • एमपी हाईकोर्ट ने जबलपुर यूनिवर्सिटी के VC पर यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच न होने पर राज्य की मनमानी पर उठाए सवाल, SIT गठित करने का आदेश

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के एक मामले में उचित जांच न किए जाने को लेकर राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए राज्य पुलिस महानिदेशक को विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का आदेश दिया है। यह मामला रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी (RDVV) जबलपुर की एक महिला कर्मचारी द्वारा कुलपति (VC) पर लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों से जुड़ा है।

    जस्टिस विशाल मिश्रा ने अपने आदेश में कहा,

    “यह अधिकारियों की ओर से स्पष्ट रूप से मनमानी है कि एक महिला कर्मचारी द्वारा यूनिवर्सिटी के सर्वोच्च अधिकारी के खिलाफ गंभीर शिकायत करने के बावजूद मामले की सही तरीके से जांच नहीं की गई। जांच का तरीका ही संदेह पैदा करता है कि जांच करने वाले अधिकारी RDVV के अधिकारियों के साथ मिले हुए हैं।”

    याचिका में POSH Act के तहत शिकायत पर कार्रवाई की मांग की गई और आरोप लगाया गया कि पूरा घटनाक्रम VC के कार्यालय में लगे CCTV कैमरे में कैद है। कोर्ट के पहले दिए गए निर्देश के बावजूद CCTV फुटेज को संरक्षित नहीं किया गया। 8 मई के आदेश में कोर्ट ने माना कि साक्ष्य नष्ट करने की जानबूझकर कोशिश की गई प्रतीत होती है। इसके बाद कोर्ट ने कलेक्टर (महिला एवं बाल विकास) जबलपुर को CCTV कैमरा और DVR की फोरेंसिक जांच कराने का निर्देश दिया।

    RDVV के रजिस्ट्रार को यह शपथ-पत्र देने का निर्देश भी दिया गया कि कोर्ट के आदेशों का पालन क्यों नहीं हुआ और CCTV फुटेज क्यों संरक्षित नहीं किया गया।

    15 मई को कोर्ट को बताया गया कि कलेक्टर जबलपुर ने छह सदस्यों की एक समिति बनाई।

    20 मई को दाखिल शपथ-पत्र में कलेक्टर ने खुद कहा कि उन्हें समिति की रिपोर्ट पर संतोष नहीं है और जांच का तरीका भी ठीक नहीं था।

    कोर्ट ने रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए कहा कि समिति को जांच के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं दी गई, CCTV फुटेज लेने की कोई कोशिश नहीं की गई और समिति की कार्यशैली पर स्वयं कलेक्टर को भी भरोसा नहीं है।

    याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया कि आरोपी वीसी राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हैं जिससे जांच रिपोर्टें प्रभावित हो सकती हैं। इसलिए निष्पक्ष जांच हेतु मामले को बाहरी एजेंसी को सौंपने की मांग की गई।

    इन परिस्थितियों को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि दो बार की गई जांच भी संदेह के घेरे में है, इसलिए अब एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराना जरूरी है।

    कोर्ट का आदेश,

    मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया जाता है कि वह तीन सीनियर IPS अधिकारियों की SIT गठित करें, जिनमें से कम से कम एक महिला अधिकारी (SP रैंक से नीचे नहीं) होनी चाहिए। सभी अधिकारी जबलपुर जिले से बाहर के हों। यह SIT तीन दिनों के भीतर गठित की जाए। इसका नेतृत्व एक IG रैंक के अधिकारी करें। SIT जांच पूरी कर रिपोर्ट अगली सुनवाई तक कोर्ट को सौंपे।”

    केस टाइटल: Victim X बनाम मध्य प्रदेश राज्य व अन्य, रिट याचिका संख्या 2528/2025

    Next Story