मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से यौन उत्पीड़न, बलात्कार या अनाचार से पीड़ित बच्चों के लिए भोजन, आश्रय, शिक्षा देने की नीति बनाने पर विचार करने को कहा

Amir Ahmad

27 May 2025 11:47 AM IST

  • मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से यौन उत्पीड़न, बलात्कार या अनाचार से पीड़ित बच्चों के लिए भोजन, आश्रय, शिक्षा देने की नीति बनाने पर विचार करने को कहा

    31 सप्ताह की गर्भवती नाबालिग बलात्कार पीड़िता को जन्म देने की अनुमति देते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से यौन उत्पीड़न, बलात्कार या अनाचार से पीड़ित बच्चों के भोजन, आश्रय, शिक्षा प्रदान करने के लिए नीति बनाने पर विचार करने का आग्रह किया।

    जस्टिस विनय सराफ ने 22 मई को अपने आदेश में वर्तमान मामले के संबंध में कई निर्देश पारित करते हुए यह भी आदेश दिया:

    “राज्य सरकार यौन उत्पीड़न, बलात्कार या अनाचार से पीड़ित बच्चों के भोजन, आश्रय, शिक्षा सुरक्षा की सुविधा प्रदान करने के लिए नीति बनाने पर विचार करेगी।”

    अदालत सेशन जज द्वारा दिए गए संदर्भ पर सुनवाई कर रही थी, जिसके द्वारा अदालत को सूचित किया गया कि नाबालिग बलात्कार पीड़िता POCSO Act के तहत दर्ज एक मामले की जांच के दौरान गर्भवती पाई गई थी।

    संदर्भ पत्र में उल्लेख किया गया कि स्त्री रोग विशेषज्ञ ने कहा था कि यदि गर्भावस्था समाप्त कर दी जाती है तो लड़की की जान को खतरा हो सकता है।

    संदर्भ पत्र के साथ लड़की और उसके माता-पिता द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र संलग्न किया गया, जिसमें उसने और उसके माता-पिता ने गर्भावस्था जारी रखने और बच्चे को जन्म देने की अपनी इच्छा दिखाई थी।

    न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार और गर्भावस्था के संबंध में अविवाहित महिला की स्वायत्तता का उल्लेख किया, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है।

    न्यायालय ने ए (एक्स की मां) बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य 2024 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी उल्लेख किया, जिसमें यह माना गया कि यदि नाबालिग गर्भवती है और उसके माता-पिता गर्भावस्था जारी रखने के इच्छुक हैं तो इसका सम्मान किया जाना चाहिए। गर्भवती व्यक्ति और उसके माता-पिता की निर्णयात्मक और शारीरिक स्वायत्तता के आलोक में निर्णय लिया जाना चाहिए।

    न्यायालय ने नोट किया कि गर्भवती नाबालिग बलात्कार लड़की और उसके माता-पिता ने गर्भावस्था जारी रखने और बच्चे को जन्म देने की अपनी इच्छा दिखाई है।

    यह भी पाया गया कि स्त्री रोग विशेषज्ञ ने कहा कि भ्रूण 29 सप्ताह से अधिक का था। इसलिए गर्भपात से पीड़िता की जान को खतरा हो सकता है।

    इस प्रकार परिस्थितियों पर विचार करते हुए न्यायालय ने कहा कि गर्भपात के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता।

    न्यायालय ने राज्य को विशेषज्ञ डॉक्टरों के माध्यम से सभी उपलब्ध मेडिकल सुविधाएं प्रदान करने का भी निर्देश दिया, ताकि पीड़िता बच्चे को जन्म दे सके और बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया से संबंधित सभी खर्च वहन करे।

    याचिका का निपटारा करते हुए न्यायालय ने आगे कहा,

    "गर्भावस्था की अवधि के दौरान और बच्चे के जन्म के समय और उसके बाद जब भी आवश्यकता हो, डॉक्टरों द्वारा सभी आवश्यक देखभाल और सतर्कता बरती जाएगी। प्रसव के बाद पीड़िता की देखभाल की जाएगी। राज्य सरकार का यह कर्तव्य होगा कि वह स्थापित मानदंडों के अनुसार बच्चे की देखभाल करे। राज्य सरकार बच्चे को कक्षा-12वीं तक मुफ्त शिक्षा प्रदान करेगी। बच्चे के वयस्क होने तक राज्य सरकार द्वारा बच्चे को सभी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। पीड़िता और बच्चे का नाम किसी भी तरह से उजागर नहीं किया जाएगा।"

    केस टाइटल: पीड़िता एक्स बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य, रिट याचिका संख्या 19343/2025

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