एमपी हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: मृत कर्मचारी के विवाहित पुत्र को भी 25 वर्ष की आयु तक मिलती रहेगी फैमिली पेंशन

Amir Ahmad

28 Nov 2025 4:04 PM IST

  • एमपी हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: मृत कर्मचारी के विवाहित पुत्र को भी 25 वर्ष की आयु तक मिलती रहेगी फैमिली पेंशन

    मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया कि मृत कर्मचारी के विवाहित पुत्र को भी पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने का अधिकार है। अदालत ने कहा कि विवाह होना पुत्र के अधिकार को समाप्त नहीं करता और वह 25 वर्ष की आयु तक या स्वयं की आय से जीवनयापन शुरू करने तक या मृत्यु तक, जो भी पहले हो पारिवारिक पेंशन पाने का हकदार है।

    जस्टिस आशिष श्रोटी की सिंगल बेंच ने कहा कि केवल विवाह होना पात्रता समाप्त होने का आधार नहीं हो सकता। आदेश में उल्लेख किया गया कि नियम 47(6) के अनुसार पुत्र के लिए पेंशन की सीमा केवल आयु से निर्धारित होती है न कि वैवाहिक स्थिति से।

    मामला मंगौली डिविजन के एक लाइन हेल्पर के बेटे से संबंधित है। कर्मचारी की मृत्यु के बाद पुत्र ने पारिवारिक पेंशन का दावा किया, जिसे स्वीकृत करते समय विभाग ने यह शर्त जोड़ दी कि विवाह के बाद पेंशन रोक दी जाएगी। इस शर्त को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता हाईकोर्ट पहुंचा।

    याचिकाकर्ता की ओर से यह तर्क दिया गया कि 1976 के नियमों में पुत्र के विवाह को पेंशन रोकने का आधार नहीं बताया गया। विभाग की ओर से यह दलील दी गई कि नियम 47(14)(b)(ii) विवाह की स्थिति में पेंशन रोकने का प्रावधान करता है और याचिकाकर्ता ने अपनी शादी की जानकारी छिपाई।

    अदालत ने विभाग की दलील खारिज करते हुए कहा कि जब नियम ही विवाह की शर्त लागू नहीं करता तो जानकारी छिपाना निर्णायक कारक नहीं माना जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि विवाह से संबंधित शर्त केवल पुत्री के लिए लागू होती है पुत्र के लिए नहीं।

    हाईकोर्ट ने कहा कि नियमों की सामंजस्यपूर्ण व्याख्या से यह स्पष्ट है कि मृत कर्मचारी का पुत्र चाहे विवाहित हो 25 वर्ष की आयु तक पारिवारिक पेंशन पाने का अधिकारी है।

    अदालत ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को 16 मई, 2021 से अब तक की पेंशन राशि 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 90 दिनों में दी जाए तथा आगे भी पूर्व आदेशानुसार पेंशन जारी रखी जाए।

    इस प्रकार याचिका का निराकरण कर दिया गया।

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