पत्नी द्वारा किसी अन्य पुरुष को अश्लील फोटो भेजना भारतीय समाज में अस्वीकार्य: एमपी हाईकोर्ट ने व्यभिचार के आधार पर तलाक बरकरार रखा
Amir Ahmad
11 Dec 2025 5:53 PM IST

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को सही ठहराया, जिसमें पति को उसकी पत्नी के व्यभिचार और क्रूरता के आधार पर तलाक दिया गया था।
अदालत ने कहा कि प्रस्तुत इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य न्यूड फोटोग्राफ, ईमेल, चैट, वीडियो कॉल और संदेश स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि पत्नी विवाह के बाद किसी अन्य पुरुष के साथ अवैध संबंध में है।
जस्टिस विशाल धागत और जस्टिस बी.पी. शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि भारतीय समाज में यह अपेक्षित नहीं है कि कोई विवाहित महिला स्वयं की नग्न तस्वीरें लेकर किसी अन्य पुरुष को भेजे वीडियो कॉल पर उसके निजी अंग देखने का आग्रह करे और स्वयं भी उसके निजी अंग देखे।
अदालत के अनुसार यह आचरण विवाह संस्था के मूल सिद्धांतों की उपेक्षा को दर्शाता है।
पत्नी ने फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए दावा किया था कि पति ने कंप्यूटर में की-लॉगर इंस्टॉल कर सबूत गढ़े हैं और यह इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य 65B प्रमाणपत्र के बिना स्वीकार नहीं किए जा सकते।
अदालत ने यह दलील खारिज करते हुए कहा कि फैमिली कोर्ट भारतीय साक्ष्य अधिनियम की कठोर प्रक्रियाओं से बंधा नहीं है। ऐसे साक्ष्यों को स्वीकार कर सकता है जो विवाद के न्यायपूर्ण समाधान में सहायक हों।
अदालत ने यह भी माना कि व्यभिचार के मामलों में प्रत्यक्ष प्रमाण मिलना कठिन होता है और परिस्थितिजन्य साक्ष्य दोनों पक्षों का व्यवहार संपर्क की आवृत्ति, अवसर और परिस्थितियाँ काफी होते हैं।
कोर्ट ने पाया कि पत्नी ने न केवल विवाह के बाद भी अपने अवैध संबंध जारी रखे बल्कि फैमिली कोर्ट में तथ्य छुपाए और झूठे बयान भी दिए।
इस आधार पर हाईकोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया और फैमिली कोर्ट द्वारा प्रदान किया गया तलाक का आदेश बरकरार रखा।

