नियमित किए गए कर्मचारी को ऐड-हॉक सेवा में दिए गए कृत्रिम अवकाश के आधार पर पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट

Amir Ahmad

11 Dec 2025 5:49 PM IST

  • नियमित किए गए कर्मचारी को ऐड-हॉक सेवा में दिए गए कृत्रिम अवकाश के आधार पर पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट

    मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने महत्त्वपूर्ण निर्णय देते हुए स्पष्ट किया कि किसी कर्मचारी की ऐड-हॉक अवधि में दिए गए कृत्रिम अवकाश को आधार बनाकर उसे पेंशन के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता यदि बाद में उसकी सेवा को नियमित कर दिया गया हो।

    अदालत ने माना कि ऐसे अवकाश केवल औपचारिक होते हैं और इन्हें वास्तविक सेवा-व्यवधान नहीं माना जाएगा।

    यह मामला जिला सागर के सरकारी कॉलेज में भौतिकी व्याख्याता रहे अरुण प्रकाश बुखारिया से संबंधित था, जिन्हें 5 मार्च 1977 को ऐड-हॉक नियुक्ति मिली और वे 4 मार्च 1987 तक सेवा में रहे। बाद में वे प्रोफेसर बने और 31 दिसंबर 2009 को सेवानिवृत्त हुए। पेंशन के लिए ऐड-हॉक सेवा अवधि जोड़ने के उनके अनुरोध को 2021 में अस्वीकार कर दिया गया था।

    याचिकाकर्ता का तर्क था कि एम.पी. सिविल सर्विस (पेंशन) नियम, 1976 के नियम 15-A के अनुसार ऐड-हॉक सेवा गिनने के लिए दो शर्तें हैं—कर्मचारी का नियमितीकरण और सेवा का अविरत होना। उनके मामले में दो-तीन दिन के छोटे अवकाश केवल औपचारिक थे, वास्तविक ब्रेक नहीं।

    जस्टिस दीपक खोट ने कहा कि याचिकाकर्ता को समय-समय पर दिए गए अवकाश फिक्शनल थे और उनकी वास्तविक सेवा निरंतर थी। कोर्ट ने गीता श्रीवास्तव और रतन लाल के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसी 'हायर एंड फायर' नीति उचित नहीं है और पेंशन के संदर्भ में ऐसे ब्रेक को निरंतर सेवा ही माना जाएगा।

    अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि 2020 के संशोधन के आधार पर दिया गया 111 दिनों का लाभ पिछली तिथि से लागू नहीं हो सकता। चूंकि याचिकाकर्ता 2009 में सेवानिवृत्त हुए, इसलिए उनके मामले में पुराने नियम लागू होंगे।

    अंततः हाईकोर्ट ने ऐड-हॉक सेवा को निरंतर मानते हुए 26 मार्च 2021 का आदेश रद्द कर दिया और राज्य को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता की पूरी ऐड-हॉक सेवा को पेंशन हेतु जोड़ा जाए।

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