43.03 करोड़ के धान/चावल घोटाले की स्वतंत्र जांच की मांग पर एमपी हाईकोर्ट का राज्य सरकार को नोटिस

Amir Ahmad

15 Oct 2025 12:42 PM IST

  • 43.03 करोड़ के धान/चावल घोटाले की स्वतंत्र जांच की मांग पर एमपी हाईकोर्ट का राज्य सरकार को नोटिस

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कथित 43.03 करोड़ के धान घोटाले की राज्य स्तरीय जांच की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। याचिका में आरोप लगाया गया कि चावल मिल मालिकों और ट्रांसपोर्टरों ने सरकारी अधिकारियों के साथ सांठगाठ करके जाली दस्तावेजों का उपयोग करते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए स्वीकृत चावल को खुले बाजार में अवैध रूप से बेच दिया।

    मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में पहले ही कार्रवाई शुरू की जा चुकी है और मामला प्राथमिक विचाराधीन है। वकील ने FIR दर्ज होने की जानकारी देते हुए हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा।

    राज्य के निवेदन को रिकॉर्ड करते हुए चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने आदेश दिया,

    "नोटिस जारी किया जाए। प्रतिवादी नंबर 1-4 के लिए उपस्थित काउंसिल द्वारा नोटिस स्वीकार कर लिया गया। प्रतिवादी नंबर 5 को नोटिस जारी किया जाए। जवाब चार सप्ताह में दें। मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर 2025 को सूचीबद्ध की गई।

    सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन को PDS के तहत किसानों से लेकर मिल मालिकों और अंततः उपभोक्ताओं तक चावल की आपूर्ति श्रृंखला की निगरानी करने वाली खरीद एजेंसी के रूप में अधिकार प्राप्त है। यह पूरी प्रक्रिया राज्य द्वारा वित्त पोषित होती है और मिलिंग नीति तथा मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) द्वारा नियंत्रित होती है।

    नीति के अनुसार, मिल मालिकों को चावल की खरीद मिलिंग और निर्धारित स्थान पर जमा करने के संबंध में कॉर्पोरेशन के जिला कार्यालय के साथ समझौता करना होता है और सुरक्षा राशि जमा करनी होती है। मिल मालिकों को रिलीज ऑर्डर जारी होने से पहले उन्हें आवंटित किए जाने वाले खरीद केंद्र के स्थान के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है।

    याचिका में दावा किया गया कि जांच की कमी और मिल मालिकों तथा ट्रांसपोर्टरों के बीच सांठगांठ के कारण धान निर्धारित स्थान पर नहीं पहुंचता है। इसी धान का दुरुपयोग किया जाता है और इसे जाली दस्तावेजों का उपयोग करके खुले बाजार में बेच दिया जाता है। जबलपुर जिला प्रशासन ने इस अनियमितता का पता लगाया था। कलेक्टर द्वारा गठित जांच समिति ने पाया कि कॉर्पोरेशन के अधिकारियों के खिलाफ गंभीर आरोपों के साथ 43.03 करोड़ से अधिक का गबन किया गया। याचिका में यह भी कहा गया कि GPS मानदंडों के पालन में विफलता के कारण बालाघाट जिले में धान की तस्करी में वृद्धि हुई है।

    याचिका में इस घोटाले के अंतरराज्यीय होने की आशंका जताते हुए राज्य भर में एक स्वतंत्र जांच की मांग की गई, क्योंकि इसमें कॉर्पोरेशन के अधिकारियों पर गंभीर मिलीभगत के आरोप हैं।

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