मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रत्यारोपित 253 पेड़ों की जीपीएस-टैग वाली तस्वीरें मांगी, कहा- तस्वीरें दिखाती हैं कि पेड़ 'पूरी तरह काटे गए, लगाए नहीं गए

Amir Ahmad

7 Nov 2025 1:09 PM IST

  • मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रत्यारोपित 253 पेड़ों की जीपीएस-टैग वाली तस्वीरें मांगी, कहा- तस्वीरें दिखाती हैं कि पेड़ पूरी तरह काटे गए, लगाए नहीं गए

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कथित रूप से 'प्रत्यारोपित किए गए 253 पेड़ों की जीपीएस लोकेशन के साथ तस्वीरें पेश करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है। न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद मौजूदा तस्वीरों से पता चलता है कि इनमें से किसी भी पेड़ को प्रत्यारोपित नहीं किया गया है,बल्कि उन्हें पूरी तरह से काट दिया गया है।

    चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने यह आदेश तब पारित किया जब वह एक समाचार रिपोर्ट पर लिए गए स्वत: संज्ञान के मामले की सुनवाई कर रही थी। इस रिपोर्ट के अनुसार लोक निर्माण विभाग (PWD) ने कथित तौर पर आवश्यक अनुमति लिए बिना 488 पेड़ काट दिए थे।

    सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य के हलफनामे पर गौर किए जिसके अनुसार विस्थापन के लिए प्रस्तावित 448 पेड़ों में से 253 पेड़ों को पहले ही 'प्रत्यारोपित' कर दिया गया था।

    कोर्ट ने निर्देश दिया,

    "प्रतिवादियों को उन 253 पेड़ों की तस्वीरें जीपीएस लोकेशन के साथ दायर करने का निर्देश दिया जाता है जिन्हें कथित रूप से प्रत्यारोपित किया गया है। प्रत्यारोपित पेड़ों की जो तस्वीरें रिकॉर्ड पर रखी गई हैं, वे दिखाती हैं कि किसी भी पेड़ को प्रत्यारोपित नहीं किया गया है, बल्कि पेड़ों को पूरी तरह से काट दिया गया है और उनके तने को जमीन में गाड़ दिया गया है। उनमें से कुछ में अंकुरण शुरू हो गया है, हालांकि, तस्वीरें किसी भी पेड़ के फिर से प्रत्यारोपित होने का संकेत नहीं देती हैं।"

    न्यायालय ने राज्य सरकार को यह भी बताने का निर्देश दिया कि क्या राज्य में कोई वृक्षारोपण नीति लागू है, और यदि नहीं तो पेड़ों के संरक्षण के लिए ऐसी नीति बनाने हेतु क्या कदम उठाए गए हैं।

    रिकॉर्ड पर मौजूद तस्वीरों की जांच करते हुए न्यायालय ने मौखिक रूप से कहा, "क्या आपने इसी तरह प्रत्यारोपण किया है? क्या ये प्रत्यारोपित पेड़ हैं? इन पेड़ों पर कितने पक्षी बैठेंगे? हमें और 50 साल इंतजार करना होगा, क्योंकि इन्हें पेड़ नहीं कहा जा सकता। ये ठूंठ हैं।"

    इस मामले में एक हस्तक्षेपकर्ता ने भी न्यायालय का रुख किया जिसने तर्क दिया कि प्रस्तावित निर्माण गतिविधि एक संरक्षित स्मारक, यानी परमार काल के ऐतिहासिक बाँध किरतनगर के पास की जा रही है। इस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को नोटिस जारी किया।

    मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी।

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