RBI की लोकपाल योजना में वकील के माध्यम से शिकायत पर रोक को चुनौती, एमपी हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
Amir Ahmad
15 Oct 2025 3:44 PM IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार (13 अक्टूबर) को याचिका पर केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को नोटिस जारी किया। यह याचिका RBI की एकीकृत लोकपाल योजना (Integrated Ombudsman Scheme) 2021 के खंड 10(2)(f) और 16(1)(a) की वैधता को चुनौती देती है, जो किसी वकील के माध्यम से शिकायत दर्ज करने पर रोक लगाती है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि लोकपाल योजना के प्रावधान एडवोकेट एक्ट की धारा 30 का उल्लंघन करते हैं, जो वकीलों को देश भर की अदालतों और प्राधिकरणों के समक्ष वकालत करने का अधिकार देता है।
खंड 10(2)(f): इस खंड के अनुसार योजना के तहत शिकायत तब तक मान्य नहीं होगी, जब तक कि शिकायत व्यक्तिगत रूप से या किसी अधिकृत प्रतिनिधि (जो वकील नहीं हो, सिवाय इसके कि वकील स्वयं पीड़ित व्यक्ति हो) के माध्यम से दर्ज न की गई हो।
खंड 16(1)(a): यह खंड डिप्टी लोकपाल या लोकपाल को किसी भी स्तर पर शिकायत को खारिज करने का अधिकार देता है, यदि वह खंड 10 के तहत अस्वीकार्य प्रतीत होती है।
याचिकाकर्ता ने बताया कि विवाद मई, 2024 में शुरू हुआ, जब उसने इंस्टाग्राम लिंक के माध्यम से एक IIFL सिक्योरिटीज व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल होकर मुफ्त ट्रेडिंग सलाह प्राप्त करने का झांसा दिया। अंकित केडिया नामक एक व्यक्ति ने खुद को मुख्य निवेश अधिकारी बताकर सदस्यों को कथित फर्जी ट्रेडिंग ऐप का उपयोग करने के लिए राजी किया।
याचिकाकर्ता ने 1,45,000 का निवेश किया और बाद में एक IIFL प्रतिनिधि ने पुष्टि की कि समूह धोखाधड़ी वाला है। 26 जून, 2024 को याचिकाकर्ता ने सफलतापूर्वक 1,65,874 अपने SBI खाते में निकाल लिए।
हालांकि 12 दिसंबर, 2024 की रात को याचिकाकर्ता को SBI के आधिकारिक खाते से ईमेल मिला, जिसमें बताया गया कि उसके खाते से 1,43,000 की राशि रोक दी गई। अगले दिन फिर इतनी ही राशि रोक दी गई, जिससे खाते में कुल 2,86,000 फ्रीज हो गए।
बैंक से संपर्क करने पर उसे सूचित किया गया कि हैदराबाद साइबर क्राइम ब्रांच के निर्देश पर यह आदेश जारी किया गया, क्योंकि फर्जी IIFL ऐप से उसके खाते में हुआ लेनदेन संदिग्ध पाया गया।
लोकपाल द्वारा यांत्रिक दृष्टिकोण का आरोप
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि कुल 2,86,000 की राशि बिना किसी पूर्व सूचना के फ्रीज कर दी गई, जो उसके मौलिक और कानूनी अधिकारों का उल्लंघन है। उसने बताया कि हैदराबाद साइबर क्राइम ब्रांच को ईमेल करने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला।
इसके बाद जब याचिकाकर्ता ने RBI लोकपाल से संपर्क किया तो उसकी शिकायत को इस आधार पर अस्वीकार्य (Non-Maintainable) बताकर खारिज कर दिया गया कि इसे एक वकील के माध्यम से दायर किया गया। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि लोकपाल का आदेश यांत्रिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। साथ ही योग्यता के आधार पर शिकायत का निपटारा करने में विफल रहा। उसने तर्क दिया कि उसकी पिछली शिकायतें वकील के माध्यम से हैं लेकिन उसकी अंतिम शिकायत व्यक्तिगत रूप से दायर की गई, इसलिए अंतिम शिकायत को खारिज करना मनमाना और अवैध है।
याचिकाकर्ता ने बैंक और पुलिस को सामूहिक या व्यक्तिगत रूप से 1,43,000 ब्याज सहित (20% चक्रवृद्धि मासिक ब्याज दर से) तथा अवसर के नुकसान, मानसिक उत्पीड़न और पीड़ा के लिए 5,00,000 का भुगतान करने का निर्देश देने की भी मांग की।
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने निर्देश दिया,
"प्रतिवादियों को नोटिस जारी करें, जिसका जवाब चार सप्ताह बाद दिया जाए।"

