शिकार के आरोप में व्यक्ति को अग्रिम जमानत, हाईकोर्ट ने कहा- भागने की संभावना नही
Amir Ahmad
5 Nov 2025 6:09 PM IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत प्रदान की, जिस पर वन्यजीवों का कथित रूप से शिकार करने और उनके शरीर के अंगों को बिना किसी वैध अनुमति के रखने का आरोप है। यह FIR वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत दर्ज की गई थी जिसमें आरोपी पर एक मोर और खरगोश सहित वन्यजीवों का शिकार करने का आरोप है।
जस्टिस मिलिंद रमेश फाडके की एकल पीठ ने मंगलवार (4 नवंबर) को इस मामले में आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि मामले के समग्र तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के साथ ही, रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से आरोपी के न्याय से भागने की कोई संभावना नहीं दिखती। न्यायालय ने टिप्पणी की कि वह मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा है लेकिन उसका मत है कि आरोपी अग्रिम जमानत का लाभ पाने का हकदार है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार यह घटना 12 सितंबर, 2025 की, जब वन रेंज सेवढ़ा में रहने वाले एक समुदाय के सदस्यों पर अवैध शिकार करने और उनके शरीर के हिस्सों को संग्रहित करने का आरोप लगा। आरोपी के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को अवैध शिकार या वन्यजीवों के अंगों के कब्जे से जोड़ने वाला कोई सीधा या विश्वसनीय प्रमाण मौजूद नहीं है।
वकील ने आगे दलील दी कि अभियोजन पक्ष द्वारा जिस जगह से कथित बरामदगी दिखाई गई, वह एक खुला और आसानी से पहुंचा जा सकने वाला क्षेत्र था जिस पर आरोपी का कोई विशेष नियंत्रण नहीं था। इसके अतिरिक्त बचाव पक्ष ने यह भी दावा किया कि बरामदगी की प्रक्रिया के दौरान कोई स्वतंत्र गवाह मौजूद नहीं था। राज्य यह साबित करने के लिए कोई फोरेंसिक साक्ष्य पेश नहीं कर सका कि जब्त की गई वस्तुएँ वास्तव में वन्यजीवों के अंग थे।
राज्य के लोक अभियोजक ने अपराध की गंभीरता को रेखांकित करते हुए अग्रिम जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया। हालांकि कोर्ट ने सभी दलीलों पर विचार करने के बाद आरोपी को 50,000 के व्यक्तिगत मुचलके पर अग्रिम जमानत प्रदान कर दी। यह फैसला दर्शाता है कि अग्रिम जमानत देते समय कोर्ट अपराध की गंभीरता के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करता है कि आरोपी के भागने की कोई आशंका न हो।

