सोशल मीडिया की टिप्पणियां हमें चुटकी भर नमक की तरह स्वीकार: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट
Amir Ahmad
26 Sept 2025 12:18 PM IST

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि अदालतों की कार्यवाही के लाइव-स्ट्रीम से बनाए गए रील्स और मीम्स के जरिए न्यायपालिका पर की जाने वाली सोशल मीडिया टिप्पणियों को नियंत्रित करना संभव नहीं है। अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे कमेंट्स को वह चुटकी भर नमक के साथ लेती है और इनके साथ जीना सीख लिया है।
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सारफ की खंडपीठ जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता एडवोकेट अरिहंत तिवारी ने दलील दी कि लाइव-स्ट्रीम कार्यवाही से बने वीडियो और मीम्स लोगों को न्यायपालिका पर टिप्पणी करने का अवसर दे रहे हैं। इसलिए भविष्य में ऐसे अपलोड रोकने के लिए मैंडमस जारी किया जाए।
खंडपीठ ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की स्वचालित प्रणाली ऐसी रोकथाम को स्वीकार नहीं कर सकती। अदालत ऐसे कमेंट्स पर अंकुश नहीं लगा सकती। अदालत ने यह भी कहा कि जब कोई फैसला सोशल मीडिया पर आता है तो सीमित या बिना कानूनी ज्ञान वाले लोग उस पर टिप्पणी करने लगते हैं और यह स्थिति अवश्यंभावी है।
इस दौरान मेटा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि प्लेटफॉर्म खुद तय नहीं कर सकता कि कौन-सा कंटेंट हटाया जाए। कानून के मुताबिक केवल अदालत या सक्षम सरकारी प्राधिकारी के आदेश पर ही किसी सामग्री को हटाया जा सकता है। इसके लिए संबंधित URL देना आवश्यक है। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि अदालत या प्राधिकरण आदेश देगा तो मेटा अधिकतम 48 घंटे में ऐसा कंटेंट हटा देगा।
अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह आपत्तिजनक कंटेंट के विशिष्ट URLs पहचानकर पेश करे ताकि उन्हें मेटा और यूट्यूब को भेजकर हटाया जा सके। साथ ही यदि कोई चैनल बार-बार आपत्तिजनक वीडियो डाल रहा है तो उसे पक्षकार बनाकर कार्रवाई की जा सकती है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि इन वीडियोज से होने वाली आय अदालत की होनी चाहिए, क्योंकि उस पर अदालत का कॉपीराइट है। अदालत ने सुझाव दिया कि यदि ऐसा दावा है तो संबंधित चैनलों को पक्षकार बनाया जा सकता है।
इससे पहले 12 सितंबर को हाईकोर्ट ने अपने रजिस्ट्री को आदेश दिया था कि 15 सितंबर से सभी पीठों की आपराधिक मामलों की सुनवाई की लाइव-स्ट्रीमिंग अस्थायी रूप से रोक दी जाए, क्योंकि अदालत की अनुमति के बावजूद क्लिपिंग्स और वीडियोज सोशल मीडिया पर अपलोड किए जा रहे थे।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी।

