एमपी हाईकोर्ट ने प्रशासनिक भवनों के प्रस्तावित निर्माण के लिए आवंटित भूमि पर नर्सरी के पेड़ों की काटई पर अंतरिम रोक लगाई
Amir Ahmad
5 July 2025 12:25 PM IST

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश में राज्य सरकार को मंडला जिले की उस भूमि पर लगे पेड़ों को काटने या फिर से प्रतिरोपित करने से रोक दिया, जहां एक नर्सरी स्थित है और जिसे प्रशासनिक भवनों के निर्माण के लिए आवंटित किया गया है।
कोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने मंडला जिला कलेक्टर के 1 अक्टूबर 2024 के आदेश को चुनौती दी है।
याचिका में कहा गया कि 2,93,588 वर्गफुट क्षेत्रफल वाली भूमि, जिस पर 1981 से नर्सरी है, जिसमें लगभग 10,000 फलदार पेड़ हैं। उसको नया संयुक्त जिला कार्यालय और पुलिस अधीक्षक का कार्यालय बनाने के लिए हस्तांतरित किया गया।
एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने नोटिस जारी करते हुए कहा,
"अंतरिम रूप से निर्देश दिया जाता है कि इस न्यायालय की अनुमति के बिना कोई भी पेड़ न काटा जाएगा और न ही प्रतिरोपित किया जाएगा।"
एडवोकेट डीके तिवारी द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि बदले में नर्सरी को गांव गाजीपुर में भूमि दी गई, जो 15 किमी दूर है।
सुनवाई के दौरान तिवारी ने तर्क दिया कि 20-30 साल पुराने लगभग 10,000 फलदार पेड़ों को काटने या पुनर्स्थापित करने की योजना है।
वहीं राज्य की ओर से एडीशनल एडवोकेट जनरल निलेश यादव ने कहा कि प्रस्तावित निर्माण से केवल 18 पेड़ प्रभावित होंगे, न कि 10,000 पेड़ जैसा कि याचिकाकर्ता ने दावा किया है।
उन्होंने कोर्ट से क्षेत्र का साइट प्लान और प्रस्तावित निर्माण की योजना पेश करने के लिए समय मांगा।
याचिका में कलेक्टर के आदेश को रद्द करने की प्रार्थना की गई और अंतरिम रूप से आदेश के प्रभाव को रोकने की मांग की गई।
मामला 14 जुलाई को सूचीबद्ध है।
केस टाइटल: अब्दुल गफ्फार कुरैशी बनाम मध्यप्रदेश राज्य (डब्ल्यूपी नं. 19722 ऑफ 2025)