जिम्मेदारी से भागने की कोशिश: कोरोना योद्धा योजना के तहत मुआवज़ा न देने पर MP हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार
Amir Ahmad
14 May 2025 12:38 PM IST

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने COVID ड्यूटी के दौरान दिवंगत हुए पुलिसकर्मी की पत्नी को मुआवज़ा न देने पर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की। कोर्ट ने मुआवज़ा न देने का आदेश रद्द करते हुए राज्य को निर्देश दिया कि वह मुख्यमंत्री COVID-19 योद्धा कल्याण योजना के तहत पीड़िता को 50 लाख रुपये का मुआवज़ा 45 दिनों के भीतर प्रदान करे।
जस्टिस प्रणय वर्मा की एकल पीठ ने कहा,
“जब पूरा देश लॉकडाउन में था और लोग घर से निकलने में डर रहे थे, तब सरकारी कर्मचारी, जैसे कि याचिकाकर्ता के पति, अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी कर रहे थे। ऐसे कर्मचारियों के परिवारों के लिए सरकार ने सम्मानजनक योजना शुरू की थी लेकिन अब जब योजना के तहत आर्थिक सहायता देने की बारी आई तो अधिकारी तथ्यों को नजरअंदाज कर बहानेबाज़ी कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।”
मामला
मीना भाभर ने याचिका दाखिल की थी, जिनके पति पुलिस विभाग में सहायक उप निरीक्षक के पद पर कार्यरत थे।
अमलतास अस्पताल, बैंगर में ड्यूटी के दौरान वे कोरोना संक्रमित हो गए और मई, 2021 में उनका निधन हो गया। इसके बाद पत्नी ने मुख्यमंत्री COVID-19 योद्धा कल्याण योजना के तहत 50 लाख रुपये के मुआवज़े की मांग की थी।
लेकिन कलेक्टर ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता के पति योजना की धारा 3.1 के तहत पात्र नहीं हैं, क्योंकि उनके लिए किसी प्राधिकृत आदेश के तहत COVID ड्यूटी तय नहीं हुई।
कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने रिकॉर्ड की जांच करने पर पाया कि पुलिस थाना प्रभारी द्वारा एसपी को भेजे गए पत्र में साफ लिखा कि याचिकाकर्ता के पति को COVID ड्यूटी सौंपी गई थी और ड्यूटी के दौरान ही वे बीमार हुए और फिर उनका निधन हो गया।
कोर्ट ने कहा,
“यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता के पति को 14 अप्रैल, 2021 से लगातार कोविड ड्यूटी पर तैनात किया गया। सरकार के अपने रिकॉर्ड के विपरीत यह कहना कि कोई ड्यूटी आदेश नहीं था, केवल जिम्मेदारी से बचने की कोशिश है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”
कोर्ट का फैसला
कलेक्टर द्वारा मुआवज़ा न देने का आदेश रद्द किया गया।
सरकार को निर्देश दिया गया कि 45 दिनों के भीतर 50 लाख रुपये मुआवज़ा दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पति योजना की धारा 3.1 और 3.3 दोनों के तहत पात्र हैं।
केस टाइटल: मीना भाभर बनाम मध्यप्रदेश राज्य एवं अन्य