मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इंटर्नशिप अवधि को पूर्वव्यापी प्रभाव से 2 वर्ष से बढ़ाकर 3 वर्ष करने के खिलाफ विदेशी ग्रेजुएट की याचिका पर नोटिस जारी किया
Amir Ahmad
24 Jan 2025 6:40 AM

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट स्टूडेंट्स की याचिका पर राज्य सरकार और मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल को नोटिस जारी किया, जिसमें राज्य मेडिकल काउंसिल द्वारा उनकी इंटर्नशिप अवधि को पूर्वव्यापी प्रभाव से 2 वर्ष से बढ़ाकर 3 वर्ष करने को चुनौती दी गई।
जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,
“प्रवेश के प्रश्न पर सुनवाई की गई। प्रतिवादियों को रजिस्टर्ड एडी मोड द्वारा प्रक्रिया शुल्क के भुगतान के लिए तीन कार्य दिवसों के भीतर नोटिस जारी किया जाए। नोटिस तीन सप्ताह के भीतर वापस किए जाने योग्य हों। इसके अलावा याचिकाकर्ताओं को प्रतिवादियों को हमदस्ती देने की अनुमति दी जाती है, जिसके लिए 21 जनवरी तक अपेक्षित दस्तावेज दाखिल किए जाएं। कार्यालय को इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है। याचिकाकर्ताओं को हमदस्ती नोटिस की सेवा के समर्थन में एक हलफनामे के साथ नोटिस की प्राप्ति की पावती दाखिल करने का भी निर्देश दिया जाता है।”
वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता NEET (UG) परीक्षा पास करने और पात्रता प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद MBBS की पढ़ाई करने के लिए चीन गए। 2022 में उनके MBBS कोर्स के पूरा होने से पहले महामारी COVID-19 आ गई। इस तरह उन्हें अंतिम वर्ष में ही वापस लौटना पड़ा। उन्होंने अपना MBBS कोर्स ऑनलाइन मोड के माध्यम से पूरा किया। इसलिए उनकी इंटर्नशिप अवधि को भारत में MBBS कोर्स करने वाले छात्रों के लिए एक वर्ष की अवधि की तुलना में दो साल की अवधि के लिए बढ़ा दिया गया।
याचिका में दावा किया गया कि इसके बाद 4 नवंबर, 2024 को पहली बार याचिकाकर्ताओं को सूचित किया गया कि उनकी इंटर्नशिप अवधि अब तीन साल की अवधि के लिए होगी, जिसके बारे में याचिकाकर्ताओं का दावा है कि इसे COVID-19 महामारी के दौरान/बाद में चीन से अपना कोर्स पूरा करने वाले स्टूडेंट्स के लिए पूर्वव्यापी रूप से बनाया गया।
याचिका में दावा किया गया कि याचिकाकर्ता मार्च, 2025 में अपना कार्यकाल पूरा करने वाले थे।
याचिका में दावा किया गया कि जब याचिकाकर्ताओं ने खुद को रजिस्टर कराया तो उन्हें 23 मार्च, 2023 के पत्र के माध्यम से राज्य चिकित्सा परिषद को सूचित किया गया कि उनकी इंटर्नशिप अवधि दो साल की होगी। इसलिए प्रोमिसरी स्टॉपल और वैध अपेक्षा का सिद्धांत लागू होता है।
इसमें कहा गया कि याचिकाकर्ताओं ने प्री-पीजी परीक्षा के लिए अध्ययन करना शुरू कर दिया, जो जून, 2025 के महीने में निर्धारित है और स्टूडेंट्स को प्री-पीजी परीक्षा पास करने के लिए कम से कम एक साल तक अध्ययन करना होगा।
याचिकाकर्ता प्री-पीजी परीक्षा के लिए अपनी पढ़ाई के बीच में थे लेकिन अचानक 4 नवंबर, 2024 को उन्हें सूचित किया गया कि अब इंटर्नशिप अवधि तीन साल की अवधि के लिए जारी रहेगी, जिसका स्वतः अर्थ है कि उन्हें प्री-पीजी परीक्षा में बैठने के लिए पात्र घोषित नहीं किया जाएगा।
याचिका में कहा गया कि जिस तरह से एमपी मेडिकल काउंसिल ने इंटर्नशिप अवधि बढ़ाई है, वैसा देश के किसी अन्य हिस्से में नहीं हुआ है। इसमें कहा गया कि म.प्र. मेडिकल काउंसिल के 23 मार्च, 2023 के आदेश में प्रयुक्त शब्द 24 महीने है, जिसका अर्थ दो वर्ष है। इसलिए किसी भी कल्पना के तहत 4 नवंबर, 2024 के आदेश के अनुसार इसे पूर्वव्यापी आवेदन नहीं दिया जा सकता है।
याचिका में 4 नवंबर, 2024 के आदेश को रद्द करने और प्रतिवादियों को 23 मार्च, 2025 को इंटर्नशिप अवधि पूरी करने के लिए याचिकाकर्ताओं को अनापत्ति प्रमाण पत्र और पात्रता प्रमाण पत्र देने का निर्देश देने की मांग की गई, क्योंकि दो साल की इंटर्नशिप अवधि उक्त तिथि को पूरी हो जाएगी और याचिकाकर्ता प्री-पीजी परीक्षा 2025-2026 और 2026-2027 में उपस्थित होने के लिए पात्र घोषित किए जाएंगे।
मामला 10 फरवरी से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध है।
मामले टाइटल: डॉ. सौरभ रघुवंशी और अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य।