लंबित आपराधिक मामला शस्त्र लाइसेंस रद्द करने का एकमात्र आधार नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
Amir Ahmad
29 July 2024 1:35 PM IST
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि लाइसेंसिंग प्राधिकरण को लगता है कि कोई व्यक्ति आपराधिक गतिविधि में शामिल है और सार्वजनिक सुरक्षा और सार्वजनिक शांति के लिए संभावित खतरा है तो वह ऐसे व्यक्ति का शस्त्र लाइसेंस रद्द कर सकता है।
मजीद खान ने 2018 और 2019 में उनके खिलाफ दो आपराधिक मामले दर्ज होने के बाद उनके शस्त्र लाइसेंस को रद्द करने को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की। जिला मजिस्ट्रेट ने निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता का शस्त्र लाइसेंस जारी रखना सार्वजनिक शांति और सुरक्षा के हित में नहीं होगा। आयुक्त के समक्ष याचिकाकर्ता की अपील खारिज कर दी गई, जिसके कारण उन्हें दोनों आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती देनी पड़ी।
उनके वकील ने तर्क दिया कि केवल आपराधिक मामला दर्ज होने से शस्त्र लाइसेंस रद्द करने का औचित्य नहीं बनता। उन्होंने मोहम्मद हारून बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2022) का हवाला दिया, जिसमें केवल लंबित आपराधिक मामलों के आधार पर शस्त्र लाइसेंस को निलंबित करना हाईकोर्ट द्वारा गैरकानूनी माना गया।
राज्य के वकील ने सुनील कुमार सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2022) में खंडपीठ के फैसले का हवाला दिया, जिसमें सार्वजनिक सुरक्षा के लिए आवश्यक समझे जाने पर शस्त्र लाइसेंस को अस्वीकार करने या रद्द करने के प्राधिकरण का अधिकार बरकरार रखा गया।
जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने याचिकाकर्ता के तर्क को स्वीकार किया, लेकिन मौजूदा मामले और मोहम्मद हारून मिसाल के बीच अंतर को उजागर किया। याचिकाकर्ता के मामले में जिला मजिस्ट्रेट ने स्पष्ट रूप से दर्ज किया कि याचिकाकर्ता की आपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता सार्वजनिक सुरक्षा और शांति के लिए संभावित खतरा है। अदालत ने नोट किया कि याचिकाकर्ता इस दर्ज संतुष्टि को चुनौती देने या इसका खंडन करने के लिए सबूत पेश करने में विफल रहा।
अदालत ने याचिकाकर्ता की कार्रवाइयों की समयसीमा पर भी विचार किया। आयुक्त के समक्ष उनकी अपील प्रारंभिक निरस्तीकरण आदेश के 19 महीने बाद दायर की गई और रिट याचिका अपीलीय निर्णय के तीन साल बाद दायर की गई, जो खान के जीवन के लिए तात्कालिकता या आसन्न खतरे की कमी को दर्शाता है।
इस प्रकार, कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल- माजिद खान बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य