कॉलेजों को मान्यता देने में अवैधता: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य/नर्सिंग परिषद द्वारा गुम CCTV और फाइलें पेश न करने पर CBI जांच की चेतावनी दी
Amir Ahmad
7 Feb 2025 10:38 AM

नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में अनियमितताओं का दावा करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि राज्य के अधिकारी गायब CCTV फुटेज और कॉलेजों में स्टूडेंट के नामांकन से संबंधित फाइलें पेश करने में विफल रहते हैं तो जांच CBI को सौंप दी जाएगी, जबकि कथित तौर पर 2022-23 सत्र के लिए नर्सिंग कोर्स में एडमिशन के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई थी।
जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की खंडपीठ ने 31 जनवरी के अपने आदेश में कहा,
"इस मामले को 10.02.2025 को सूचीबद्ध करें और यह स्पष्ट करें कि अगली तारीख पर यदि प्रतिवादी 23.01.2025 को इस न्यायालय द्वारा जारी निर्देश का पालन करने में विफल रहते हैं तो यह न्यायालय जांच को CBI को सौंपने के बारे में सोच सकता है। इस बीच प्रतिवादियों के वकील को निर्देश दिया जाता है कि वे याचिकाकर्ता के वकील द्वारा मांगे गए डेटा को आवेदन यानी I.A.21221/2024 दायर करके उपलब्ध कराएं।”
संदर्भ के लिए याचिकाकर्ता द्वारा आवेदन दायर किया गया, जिसमें आरोप लगाया गया कि सरकार ने 12 दिसंबर 2024 के आदेश का पालन नहीं किया। आदेश का पालन करने के बजाय सरकार द्वारा उक्त आदेश को वापस लेने के लिए आवेदन दायर किया गया। अनीता चंद (तत्कालीन MNRPC की रजिस्ट्रार) ने एमपी नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल (MPNRC) के कार्यालय से महत्वपूर्ण फाइलें/सामग्री ले ली हैं।
न्यायालय ने 19 दिसंबर, 2024 के अपने आदेश में एमपी नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल, विशेष रूप से काउंसिल के रजिस्ट्रार को 14 दिसंबर से 19 दिसंबर, 2024 तक की अवधि के लिए काउंसिल के कार्यालय के CCTV फुटेज को संरक्षित करने का निर्देश जारी किया, जिससे याचिकाकर्ता द्वारा साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने और अपराधी द्वारा कार्यालय से कुछ दस्तावेज ले जाने के आरोपों की सत्यता की जांच की जा सके।
23 जनवरी को नर्सिंग काउंसिल के रजिस्ट्रार द्वारा न्यायालय को बताया गया कि उक्त डेटा उपलब्ध नहीं है। उसी तिथि को याचिकाकर्ता की ओर से कुछ दस्तावेज दाखिल किए गए, जो यह संकेत देते थे कि CCTV फुटेज को तत्कालीन रजिस्ट्रार ने खुद ही हटा दिया, जिससे उनके द्वारा की गई कथित अनियमितताओं और अवैधताओं से खुद को बचाया जा सके।
23 जनवरी को जारी अपने आदेश में न्यायालय ने कहा,
"यह गंभीर चिंता का विषय है! ऐसा प्रतीत होता है कि परिषद के रजिस्ट्रार न्यायालय के साथ लुका-छिपी का खेल खेल रहे हैं। इससे पहले, पूर्व में किए गए अवैधानिक कार्यों और अनियमितताओं में रजिस्ट्रार के उलझने की आशंका के चलते इस न्यायालय ने उन्हें रजिस्ट्रार के पद से हटाने का निर्देश दिया। इस न्यायालय के आदेश के बावजूद रजिस्ट्रार ने अवज्ञा की और 13 से 19 दिसंबर, 2024 तक की CCTV फुटेज को गुप्त रूप से हटा दिया।"
इसके बाद न्यायालय ने पुलिस आयुक्त, भोपाल और साइबर सेल प्रभारी भोपाल को 15 दिन के भीतर नर्सिंग काउंसिल के कार्यालय की 13 से 19 दिसंबर, 2024 तक की CCTV फुटेज प्राप्त करने के लिए सभी संभव प्रयास करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने उन कॉलेजों में स्टूडेंट के नामांकन से संबंधित फाइलें पेश करने का भी निर्देश दिया, जिन्हें CBI की रिपोर्ट के अनुसार, सेशन 2022-23 के लिए GNM कोर्स में एडमिशन देने की अनुमति नहीं दी गई।
31 जनवरी को प्रतिवादियों ने न्यायालय द्वारा 23 जनवरी को पारित निर्देशों का पालन करने के लिए और समय मांगा। न्यायालय ने यह चेतावनी देते हुए समय दिया कि यदि प्रतिवादी उक्त निर्देशों का पालन करने में विफल रहते हैं तो न्यायालय जांच CBI को सौंप सकता है।
मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी को होगी।
केस टाइटल: लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य, डब्ल्यूपी संख्या 1080 ऑफ 2022