POCSO Act क्यों बनाया गया?
Shadab Salim
20 Oct 2025 6:33 PM IST

बालकों को लैंगिक अपराधों से बचाने के उद्देश्य से पोक्सो एक्ट बनाया गया जिसमें ऐसे कढ़े प्रावधान किए गए हैं जिससे बालकों के साथ घटित होने वाले यह अपराधों में कमी लाई जा सके। इस अधिनियम में कढ़े प्रावधान किए जाने का कारण बालकों के साथ दिन प्रतिदिन होने वाले लैंगिक अपराध ही हैं।
संविधान का अनुच्छेद 15 अन्य बातों के साथ ही साथ राज्य को बालकों के लिए विशेष उपबन्ध करने के लिए शक्तियां प्रदान करता है। पुनः अनुच्छेद 39 अन्य बातों के साथ ही साथ यह प्रावधान करता है कि राज्य अपनी नीति का विशिष्ट रूप में इस प्रकार से संचालन करेगा कि सुनिश्चित रूप से बालकों की सुकुमार अवस्था का दुरुपयोग न हो और बालको तथा अवयस्क व्यक्तियों की शोषण से रक्षा की जाय और उनको स्वतंत्र तथा गरिमामय वातावरण में स्वास्थ विकास के अवसर तथा सुविधाएं प्रदान की जाय।
दिनांक 11 दिसम्बर, 1992 को भारत सरकार के द्वारा अनुसमर्थित बालक के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय राज्य पक्षकारों से (क) किसी विधिविरुद्ध लैंगिक क्रियाकलाप में लिप्त होने से बालक को उत्प्रेरणा अथवा प्रपीड़न से;
(ख) वेश्यावृत्ति अथवा अन्य विधिविरुद्ध लैंगिक व्यवहार में बालकों को शोषणकारी दुरुपयोग से, और
(ग) अश्लील साहित्य के क्रियाकलापों तथा सामग्रियों में बालकों को शोषणकारी दुरुपयोग से निवारित करने के लिए सभी समुचित राष्ट्रीय द्विपक्षीय और बहुपक्षीय उपाय करने की अपेक्षा करता है।
राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के द्वारा एकत्र किये गये आंकड़े यह दर्शाते है कि बालकों के विरुद्ध लैंगिक अपराध के मामलों में वृद्धि हुई है। इसकी महिला तथा बाल विकास मंत्रालय के द्वारा किये गये बालक के दुरुपयोग पर अध्ययन भारत 2007 के द्वारा संपुष्टि होती है।
इसके अतिरिक्त, बालकों के प्रति लैंगिक अपराधों पर वर्तमान विधियों के द्वारा पर्याप्त रूप में विचार नहीं किया गया है।
बढ़ी संख्या में ऐसे अपराधों के लिए न तो विनिर्दिष्ट रूप मे उपबन्ध किया गया है, न ही उन्हें पर्याप्त रूप में दण्डित किया गया है। बालको के हितो को दोनों पीड़ित व्यक्ति तथा साक्षी के रूप में, संरक्षित किये जाने की आवश्यकता है। यह महसूस किया गया है कि बालकों के विरुद्ध अपराधों को अभिव्यक्त रूप में परिभाषित किये जाने तथा प्रभावी निवारक के रूप में उपयुक्त शास्तियों के माध्यम से रोके जाने की आवश्यकता है।
इसलिए अन्य बातों के साथ ही साथ रिपोर्टिंग करने, साक्ष्य अभिलिखित करने, अपराधों के अन्वेषण और विचारण के लिए बाल-मित्रवत प्रक्रिया समाविष्ट करते हुए न्यायिक प्रक्रिया के प्रत्येक प्रक्रम पर बालक के हित और भलाई को संरक्षित करने को सम्यक् रूप में ध्यान में रखते हुए लैंगिक हमले, लैंगिक उत्पीड़न तथा अश्लील साहित्य के अपराधों से बालकों के संरक्षण के लिए प्रावधान करने तथा ऐसे अपराधों के त्वरित विचारण विशेष न्यायालयों की स्थापना के लिए प्रावधान करने हेतु स्व-अन्तर्विष्ट व्यापक विधायन अधिनियमित करने के लिए प्रस्ताव किया जाता है।
विधेयक सभी बालकों के लैंगिक दुरुपयोग से रक्षा, सुरक्षा तथा संरक्षण के लिए अधिकार के प्रवर्तन में योगदान देगा।

