The Hindu Succession Act में उत्तराधिकार में संपत्ति कब नहीं मिलती है?

Shadab Salim

31 July 2025 9:38 AM IST

  • The Hindu Succession Act में उत्तराधिकार में संपत्ति कब नहीं मिलती है?

    Hindu Succession Act के अंतर्गत किसी संपत्ति में उत्तराधिकार रखने वाले वारिसों के बेदखल के संबंध में भी प्रावधान किए गए। कुछ परिस्थितियां ऐसी है जिनके आधार पर विधि वारिसों को उत्तराधिकार के हित से अयोग्य कर देती है। उत्तराधिकार के संबंध में जो योग्यता चाहिए होती है यदि उसमें कुछ कमियां रह जाती है तो ऐसी परिस्थिति में किसी संपत्ति के उत्तराधिकार का वारिस अयोग्य हो जाता है।

    इस अधिनियम के अंतर्गत धारा 25 और 26 में किसी हिंदू पुरुष और नारी की संपत्ति में उत्तराधिकार रखने वाले वारिसों को संपत्ति के उत्तराधिकार से बेदखल किए जाने के प्रावधान किए गए है। इन दो धाराओं के अंतर्गत तीन कारण ऐसे बतलाए गए हैं जिनके आधार पर संपत्ति के वारिस उत्तराधिकार से वंचित हो जाते हैं।

    तीन कारणों के अलावा ऐसा कोई भी कारण नहीं है जो किसी संपत्ति के उत्तराधिकार के वारिसों को उत्तराधिकार से वंचित करें। कोई भी हिंदू व्यक्ति अपनी संपत्ति को वसीयत भी कर सकता है, वह दान भी कर सकता है परंतु निर्वसीयती के लिए इस अधिनियम के अंतर्गत प्रावधान किए गए हैं।

    हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम धारा 25 के अंतर्गत हत्या करने वाले व्यक्ति को उत्तराधिकार के लिए अयोग्य ठहरा गया है। जो व्यक्ति हत्या करता है या हत्या के लिए दुष्प्रेरण करता है उस हत्यारे व्यक्ति को हत्या से मृत व्यक्ति की संपत्ति को उत्तराधिकार में प्राप्त करने से इस धारा के अधीन वंचित कर दिया गया है।

    जो व्यक्ति हत्या करता है या हत्या करने का दुष्प्रेरण करता है शब्दों के इस प्रयोग से यह प्रतीत होता है कि इस धारा के अंतर्गत दो प्रकार के व्यक्तियों को उत्तराधिकार से वंचित किया गया है-

    वह व्यक्ति जिसने हत्या की है-

    जिस व्यक्ति के दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप हत्या कारित हुई है-

    यह नैतिकता का सिद्धांत है कि जिस व्यक्ति ने किसी व्यक्ति की हत्या संपत्ति को हड़पने के उद्देश्य से की है ऐसे व्यक्ति को उत्तराधिकार प्राप्त नहीं हो। समाज में यह देखा गया है कि अनेक व्यक्ति संपत्ति में उत्तराधिकार प्राप्त करने के लिए षणयंत्र कर एक दूसरे की हत्याएं कारित कर देते हैं तथा संपत्ति में उत्तराधिकार प्राप्त करते हैं।

    यहां कोई भी वारिस यदि संपत्ति में उत्तराधिकार प्राप्त करने के उद्देश्य से अन्य वारिसों या फिर किसी उस व्यक्ति की हत्या करता है जिससे उत्तराधिकार में उसे संपत्ति प्राप्त होगी तो ऐसे हत्यारे व्यक्ति को उत्तराधिकार प्राप्त करने से अयोग्य इस अधिनियम की धारा 25 के अंतर्गत ठहरा दिया गया है।

    यह सिद्धांत न्याय, साम्य तथा शुद्ध अंतः करण के आधार पर प्रिवी कौंसिल ने लागू किया था। हत्यारों को उत्तराधिकार से अपवर्जन करने के संबंध में प्रिवी कौंसिल ने कहा है कि हत्यारे को अविद्यमान समझा जाना चाहिए और उसे वंशज की सीधी लाइन के स्टॉक से पृथक कर देना चाहिए।

    प्रिवी कौंसिल के इस ही मत को हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अंतर्गत भी स्थान दिया गया है, क्योंकि यह सामान्य सी बात है कि यदि कोई व्यक्ति किसी की हत्या कारित करके संपत्ति में उत्तराधिकार प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है तो ऐसे व्यक्ति को फौरन उत्तराधिकार के अधिकार से वंचित कर दिया जाए।

    मोहन प्रसाद बनाम सुरेश कुमार 1997 (2) एमपी जे आर 206 में मृतका के पति ने मृतका को देय राशि को प्राप्त करने के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र की मांग की एवं मृतका के भाइयों ने भी दावा किया। मृतका की मृत्यु के लिए पति जिम्मेदार था, भले ही क्रिमिनल कोर्ट ने उन्हें दोषमुक्त कर दिया था।

    मृतका के भाई का नाम नामांकित किया गया था। नाम निर्दिष्ट व्यक्ति का यही कार्य है कि वह धनराशि प्राप्त कर उसे मृतक के उत्तराधिकार में विभाजित करते हैं। इसके अतिरिक्त मृतका की राशि स्त्रीधन थी। धारा 25 के प्रतिबंधों के अनुसार पति को उत्तराधिकार का अधिकारी नहीं माना गया।

    पंजाब के एक प्रकरण में श्रीमती वीरो बनाम वंता सिंह ए आई आर 1980 पंजाब 164 यदि कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को ऐसी शारीरिक चोट पहुंचाता है जिसके परिणामस्वरूप घायल व्यक्ति की मृत्यु होने की संभावना उत्पन्न हो जाती है तो अपराधी को उत्तराधिकार से वर्जित कर दिया जाएगा।

    अधिनियम की धारा 25 के अंतर्गत एक विभेद यह है कि यह धारा केवल हत्या करने वाले वारिस को ही बेदखल करती है जबकि उस वारिस की संताने उस संपत्ति में उत्तराधिकार प्राप्त करने का अधिकार रखती है। हत्यारे व्यक्ति की संतान यदि हत्या से मृत व्यक्ति के वारिस के रूप में अपने व्यक्तिगत संबंध के कारण हत्या से मृत व्यक्ति का उत्तराधिकारी धारा 8 की अनुसूची के अनुसार बनती है तो हत्यारे की संतान को इस प्रावधान के अनुसार उत्तराधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा।

    यदि किसी व्यक्ति ने किसी व्यक्ति की हत्या कर दी हो तो हत्यारा हत्या से मृत व्यक्ति की संपत्ति को उत्तराधिकार में प्राप्त करने से वंचित होगा और उस हत्यारे की संतान यदि हत्यारे के माध्यम से ही हत्या से मृत व्यक्ति की संपत्ति का उत्तराधिकारी बनता है तो ऐसी संतान भी हत्या से व्यक्ति को उत्तराधिकार में प्राप्त करने से वंचित की जानी चाहिए। इस धारा के अधीन केवल हत्यारा व्यक्ति ही उत्तराधिकार से वंचित होता है और उसके वंशजों ने अपराध कारित करने में कोई योगदान नहीं दिया है तो वह निर्हित नहीं होंगे अर्थात उन्हें उत्तराधिकार प्राप्त होगा।

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