The Indian Contract Act में गिरवी के Contract में Pawnee कब गिरवी वस्तु बेच सकता है?
Shadab Salim
12 Sept 2025 9:36 AM IST

भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 176 Pawnee के अधिकारों का उल्लेख कर रही है। इस धारा के अनुसार Pawnee के अधिकारों के उल्लेख में एक महत्वपूर्ण वर्णन यह है कि यदि Pawner उस धन के संदाय में या अनुबंध समय पर उस वचन का पालन करने में जिसके लिए माल गिरवी रखा गया है व्यतिक्रम करता है चूक करता है तो Pawnee गिरवीदार के विरुद्ध वाद लाने के लिए सक्षम हो जाता है।
ऐसी स्थिति में उक्त गिरवी माल को समपार्श्विक प्रतिभूति के रूप में प्रतिधारण कर सकता है। यह गिरवी चीज को बेचने की युक्तियुक्त सूचना Pawner को देकर उस चीज को बेच सकता है। यदि ऐसे विक्रय का आगम उस रकम से कम हो जो ऋण या वचन के बारे में शोध्य है तो Pawnee बाकी की वसूली के लिए तब भी अधिकारी रहता है।
अर्थात यदि कर्ज़ अधिक है और गिरवी रखी हुई वस्तु उतने में नहीं बिकती है जितनी कर्ज की राशि है तो वस्तु को बेचने के बाद में जो धनराशि बचती है Pawnee उस धनराशि को प्राप्त करने के लिए भी वाद ला सकता है।
यह भी ध्यान देने की बात है यदि विक्रय के आगम से उस रकम से अधिक हो जो ऐसे शोधन के लिए है तो Pawnee शेष राशि Pawner को देगा अर्थात यदि वस्तु कर्ज की राशि से अधिक की है तो जितनी राशि कर्ज की है उसे प्राप्त करने के बाद Pawnee शेष राशि को गिरवीकर्ता को सौंप देगा। यदि ऐसा नहीं करता है तो गिरवी करता Pawnee के विरुद्ध वाद ला सकता है।
Pawnee ऋण की वसूली के लिए या वचन के पालन के लिए वाद ला सकता है। वह उक्त माल को समपार्श्विक प्रतिभूति के रूप में धारण कर सकता है। वह Pawner को युक्ति संगत सूचना देने के पश्चात उक्त माल का विक्रय भी कर सकता है।
गिरवी की स्थिति में जबकि माल Pawnee को रखा गया हो और उक्त माल पर ऋण लिया हो और उक्त ऋण का संदाय न किया गया हो, इस संबंध में अनुबंधित समय भी व्यतीत हो गया हो तो युक्तियुक्त सूचना देने के पश्चात Pawnee उस माल को बेच सकता है।
इस हेतु Pawnee तीन अधिकार प्राप्त हैं-
संपत्ति के विरुद्ध अग्रसर होने का अधिकार
ऋणी व्यक्ति के विरुद्ध अग्रसर होने का अधिकार
गिरवी रखे गए माल को व्यक्तिगत रुप में विक्रय करना और यह विक्रय बिना कोर्ट को संदर्भित किए हुए किया गया हो।
गुलाम हुसैन बनाम कालरा डिसूजा (1929) के प्रकरण में कहा गया है कि फिर भी यदि वह किसी भी रुप में विधि द्वारा तिरोहित (barred) अथवा प्रतिबंधित हो तो वैसा नहीं किया जाएगा। Pawnee को यह भी अधिकार प्राप्त है कि वह उस माल को तब तक अपने कब्जे में रखें जब तक कि उक्त गिरवी रखे माल की बाबत संपूर्ण ऋण का भुगतान नहीं कर दिया जाता।
गिरवी रखे गए माल को बेचने के लिए कुछ दशाएं हैं जिनका उल्लेख इस आलेख में किया जा रहा है। केवल इन दशाओं में ही कोई Pawnee अपने पास गिरवी रखी गई संपत्ति को बेच सकता है-
जब माल की बाबत ऋण न चुकाया गया हो।
जब उक्त संदर्भ में Pawnee को युक्तियुक्त सूचना दे दी गई हो।
सूचना देने के बावजूद भी Pawner वैसा नहीं करता है।
उपरोक्त दशाओं के विधामान रहने की दशा में Pawnee Pawnee की संपत्ति का जो माल के रूप में उसके पास गिरवी रखी गई है उसका विक्रय कर सकता है। इलाहाबाद बैंक बनाम फर्म ऑफ मदन मोहन 1917 (29) आईसी 169।
भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 173 के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया है कि Pawnee गिरवी रखे हुए माल का प्रतिधारण कर सकता है। जब तक कि उसे ऋण की अदायगी ब्याज सहित नहीं कर दी जाती है किंतु यदि वह मुक्त ब्याज आदि लेने से इनकार कर देता है तो वह Pawner के माल का प्रतिधारण नहीं कर सकेगा। यह बात बैंक ऑफ साउथ वेल्स (1819) के एक प्रकरण में भी कहीं गई है।
इस धारा की शब्दावली के अनुसार Pawnee गिरवी माल का प्रतिधारण न केवल ब्याज देने के संदाय के लिए या वचन के पालन के लिए कर सकेगा वरण ऋण के ब्याज के लिए और गिरवी माल के कब्जे के बारे में यह परीक्षण के लिए अपने द्वारा उपगत सभी जरूरी खर्चों के लिए कर सकेगा।

