The Indian Contract Act में Contingent Contract को Court से कब इनफ़ोर्स करवाया जा सकता है?

Shadab Salim

23 Aug 2025 9:56 AM IST

  • The Indian Contract Act में Contingent Contract को Court से कब इनफ़ोर्स करवाया जा सकता है?

    समाश्रित संविदा को कोर्ट में प्रवर्तन कराना अर्थात इस प्रकार की संविदा को कोर्ट से इंफोर्स करवाना इसके संबंध में संविदा अधिनियम की धारा 32 में उल्लेख किया गया है। धारा 32 समाश्रित संविदाओं के प्रवर्तन के संबंध में उल्लेख कर रही है।

    समय के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने विकास किया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास करने के परिणामस्वरूप व्यापार और वाणिज्य का भी विकास हुआ है। मनुष्य की आवश्यकताएं भी बड़ी है इसे ध्यान में रखते हुए समाश्रित संस्थाओं को मान्यता प्रदान की गई है। जीवन बीमा को छोड़कर सभी प्रकार के बीमा की संविदा समाश्रित संविदा होती है।

    इस धारा के अनुसार ऐसी संविदा के पालन हेतु नियम का स्पष्ट उल्लेख है। किसी अनिश्चित भविष्य संबंधी घटना के घटित होने अथवा न घटित होने पर आधारित होती है और ऐसी संविदा का प्रवर्तन जब तक नहीं कराया जा सकता जब तक कि वह घटित न हो जाए। इसके अंतर्गत समाश्रित संविदा का प्रवर्तन तब ही संभव है जबकि वह घटना घटित हो जाए जिसके घटित होने की बाबत कोई प्रतिज्ञा किसी कार्य को करने या न करने के संदर्भ में की गई।

    यह बात ध्यान देने योग्य है कि यदि वह घटना इस प्रकृति की है कि उसका घटित होना असंभव है तो ऐसी स्थिति में संविदा शून्य होगी।

    एक व्यक्ति एक बैंक्वेट हॉल बुक करता है किसी विशेष तारीख को विवाह समारोह के लिए। अनुबंध में यह शर्त है कि समारोह उस तारीख को होगा। यदि उस दिन भूकंप या प्राकृतिक आपदा के कारण समारोह असंभव हो जाए, तो धारा 32 के तहत अनुबंध शून्य हो जाएगा।

    एक व्यापारी अनुबंध करता है कि वह एक निश्चित तारीख को गेहूं की डिलीवरी करेगा। यदि उस तारीख से पहले गोदाम में आग लगने से गेहूं नष्ट हो जाए, तो यह अनुबंध शून्य हो जाएगा।

    एक आयोजक एक गायक के साथ अनुबंध करता है कि वह एक विशेष तारीख को प्रदर्शन करेगा। यदि गायक उस दिन गंभीर रूप से बीमार हो जाए और प्रदर्शन असंभव हो, तो धारा 32 के तहत अनुबंध लागू नहीं होगा।

    धारा 32 का संबंध समाश्रित संविदा के पालन से है। इस धारा के अंतर्गत स्पष्ट यह कहा गया है कि जिस समाश्रित घटना के घटने पर की गई है तो ऐसी घटना के घटने पर ही किसी समाश्रित संविदा का पालन कराया जा सकता है।

    जैसे की राम श्याम से संविदा करता है कि यदि घनश्याम जिसे कार बेचने का प्रस्ताव किया गया है उसे खरीदने से इंकार कर देता है तो वह श्याम को वह कार बेच देगा। अब श्याम कोर्ट के समक्ष जाकर तब तक अनुतोष प्राप्त नहीं कर सकता है जब तक घनश्याम उस कार को खरीदने से इंकार नहीं करता है।

    राम और श्याम के बीच होने वाली समाश्रित संविदा का प्रवर्तन घनश्याम के कार खरीदने से इनकार करने पर निर्भर करता है। अब यदि घनश्याम कार खरीदने से इंकार कर देता और राम शाम को कार बेचने से इंकार कर दे तो ऐसी स्थिति में श्याम कोर्ट की शरण ले सकता है।

    इसी प्रकार किसी समाश्रित संविदा के अंतर्गत किसी घटना के नहीं घटने के आधार पर कोई संविदा की गई है और यदि वह घटना नहीं घटती है तब ही उस संविदा के प्रवर्तन के लिए कोर्ट के समक्ष जाया जा सकता है क्योंकि यह घटना उस घटना के न घटने के आधार पर निर्भर कर रही है।

    उदाहरण यदि कोई अनुबंध किसी निश्चित तारीख को माल की डिलीवरी पर निर्भर है, लेकिन उस तारीख तक माल नष्ट हो जाता है, तो अनुबंध लागू नहीं होगा। यह धारा अनुबंधों की वैधता और उनके निष्पादन को स्पष्ट करती है।

    जैसे कि किसी व्यक्ति ने एक हवाई जहाज को आसमान में उड़ाया तथा यह संविदा की यदि हवाई जहाज वापस लौट कर नहीं आया तो वह एक निश्चित धनराशि देगा। अब हवाई जहाज लौट कर नहीं आया उस परिस्थिति में ही इस संविदा का प्रवर्तन हो सकता है।

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