किसी व्यक्ति को रुपए या माल उधार देते समय कौन सी बातों का ध्यान रखें

Shadab Salim

31 Dec 2021 4:30 AM GMT

  • किसी व्यक्ति को रुपए या माल उधार देते समय कौन सी बातों का ध्यान रखें

    वर्तमान व्यापारिक युग में माल उधार दिया जाना या फिर रुपए उधार दिया जाना एक आम चलन बन गया है। व्यक्ति के आम जीवन की समस्याएं भी अनेक है समय-समय पर आर्थिक समस्याएं घर कर जाती हैं जिनके परिणामस्वरूप व्यक्ति को उधार लेकर आर्थिक संकट से उभरना पड़ता है। व्यापार व्यवसाय चलाने हेतु भी उधार का सहारा लेना पड़ता है।

    कई मामले ऐसे मिलते हैं जहां किसी व्यक्ति द्वारा उधार माल ले लिया जाता है या उधार रुपए प्राप्त कर लिए जाते हैं पर उन्हें लौटाया नहीं जाता है और लौटाते समय उधार माल लेने वाले या फिर उधार रुपए लेने वाले देने वाले के सामने शेर बनकर सामने आते हैं और गुंडागर्दी करते हैं तथा उधार रुपए चुकाते नहीं है।

    इस स्थिति में सारवान प्रश्न यह है कि ऐसे कौन से तरीके हैं जिनसे कानूनी रूप से किसी उधारी की वसूली की जा सके क्योंकि यदि किसी उधारी की वसूली बलपूर्वक की जाती है ऐसी स्थिति में उधार लेने वाला उधार तो चुकता करेगा नहीं और उल्टा मुकदमा पुलिस में एफआईआर दर्ज करवा देगा।

    यहां यह ध्यान देना चाहिए कि कोई भी ऐसा तरीका अख्तियार नहीं करना चाहिए जो गैरकानूनी हो। जैसे कि कुछ लोग बलपूर्वक उधार की वसूली करते हैं ऐसी बलपूर्वक उधार की वसूली करना खतरनाक हो सकता है।

    क्या है कानून

    जब भी हम कोई माल या रुपए किसी व्यक्ति को उधार देते है तब उसके लिए कानून ने हमें कुछ जिम्मेदारियां सौंपी हैं। कुछ ऐसे तरीके बताएं हैं जिन्हें पूरा किया जाना आवश्यक है। यदि उन तरीकों से किसी व्यक्ति को उधार नहीं दिया गया है तब उधार की वसूली नहीं की जा सकती है क्योंकि कानून भी कुछ जिम्मेदारियां सौंपता है उनमें उधारी की यह लेख पढ़ भी है जिससे यह साबित होता है कि किसी व्यक्ति को कोई राशि उधार दी गई है।

    लेख पढ़ कैसे करें

    उधार देते समय कुछ लेख पढ़ होती है जिसे फुलफिल किया जाना आवश्यक होता है जिससे यह साबित हो जाए कि सामने वाले को कुछ राशि या माल उधार दिया गया है तथा अदालत में कठिनाई नहीं हो तथा सरलतापूर्वक उधार की वसूली की जा सके।

    सबसे ध्यान देने योग्य बात यह है कि कोई भी धनराशि जो ₹10000 से अधिक है उसे नगद के रूप में किसी को उधार नहीं दे। बैंक खाते के माध्यम से या फिर चेक के माध्यम से ही उसे उधार राशि दे।

    कोई उधार माल कितने भी रुपए का दिया जा सकता है परंतु ऐसे उधार दिए जाने वाले माल का स्पष्ट बिल काटे जिसके अंदर सभी कर का समायोजन हो तथा सरकार को उचित कर दिया गया हो।

    कोई भी दो नंबर में किए गए सौदे की वसूली नहीं की जा सकती है क्योंकि कानून यहां पर यह कहता है कि जब कोई व्यक्ति सरकार को धोखा देकर कोई सौदा करता है तब वहां पर न्यायपालिका उसके साथ नहीं होती है क्योंकि उस व्यक्ति द्वारा सरकार को ही धोखा देकर उसके राजस्व की चोरी की गई है।

    ₹10000 से कम की कोई राशि किसी व्यक्ति को नगद नहीं उधार दी जा सकती है। एक बात और ध्यान देनी चाहिए उधारी का धंधा करने वालों को छूट नहीं है उधारी का धंधा करने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के अंतर्गत लाइसेंस लेना होता है या फिर प्रदेशों के साहूकार अधिनियम के अंतर्गत लाइसेंस लेना होता है जहां यह स्पष्टीकरण देना होता है कि हमारे द्वारा एक वैध उधारी का धंधा किया जा रहा है जहां हम एक निश्चित ब्याज दर पर धनराशि लोगों को उधार देकर मुनाफा कमाते हैं।

    उधार की वसूली अमूमन व्यापार व्यवसाय या आम जन जीवन में कोई आर्थिक संकट आ जाने पर दिए जाने वाले उधार के लिए हैं।

    बैंक खाते से करें लेन देन

    किसी भी बैंक खाते का ट्रांजैक्शन (लेन देन) किसी भी उधार दिए धन को साबित करने के लिए सबसे सार्थक साक्ष्य होता है। इससे यह साबित हो जाता है कि किसी व्यक्ति को कोई धनराशि दी गई है और उसने उस धनराशि को प्राप्त किया है तथा इस पर कोई आश्चर्य नहीं बनता है।

    रसीद लिखवाना

    जिस व्यक्ति को उधार दिया जा रहा है चाहे ऐसा उधार माल के रूप में दिया जा रहा हो या फिर रुपए के रूप में दिया जा रहा हो उस व्यक्ति से उसी के हाथ से एक सादे कागज पर एक रसीद लिखवानी चाहिए जिसमें वे स्वीकार करें कि उसने कोई धनराशि या कोई माल किसी व्यक्ति से उधार लिया है और उसे वह किसी एक निश्चित की गई दिनांक को चुका देगा। उस रसीद के अंतर्गत उस उधार लेने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर भी होना चाहिए तथा कितने रुपए और कितना माल उधार दिया गया इसका विवरण भी होना चाहिए।

    सिक्योरिटी चेक

    चेक का इस्तेमाल आमतौर पर उधारी की वसूली के लिए तो नहीं होता है परंतु यदि कानूनी रूप से देखें तो इसे यहां भी इस्तेमाल किया जा सकता है परंतु इसके लिए एक प्रक्रिया है। जब भी कोई माल या रुपए किसी व्यक्ति द्वारा उधार लिए जा रहे हैं तब ऐसे व्यक्ति से उसके बैंक का एक चेक उस तारीख का ले जिस तारीख को उसने उधार का भुगतान करने का वचन किया है और ऐसे चेक को कभी भी ब्लेंक नहीं ले जो केवल हस्ताक्षर करके दे दिया जाता है अपितु ऐसे चेक को उसी व्यक्ति के हाथ से पेन के माध्यम से भरवाया जाए तथा उस पर दिनांक लिखी जाए जिस दिनांक को उसके द्वारा भुगतान किए जाने का वचन दिया गया है।

    इस प्रकार सिक्योरिटी के रूप में रखे गए चेक को सीधे बैंक खाते में नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि यदि इस चेक को सीधे बैंक खाते में लगा दिया तब चेक के अनादर का मुकदमा दायर नहीं किया जा सकेगा क्योंकि यहां पर चेक देने वाला यह कह सकता है कि उसने चेक केवल एक सिक्योरिटी के माध्यम से दिया था परंतु इस चेक को लगाने के पूर्व एक लीगल नोटिस उधार लेने वाले के पते पर भेजा जाना चाहिए।

    जिस पर उसे यह चेतावनी दी जानी चाहिए कि उसके द्वारा उधार लिए गए माल या उधार लिए गए रुपए निश्चित दिनांक को चुकाए जाने का वचन दिया गया था और उसने उस दिनांक को रुपए नहीं चुकाए हैं इसलिए वह रुपए बैंक ट्रांजैक्शन के माध्यम से या फिर नगद लाकर दिए दे जिससे उसका उधार चुक जाए।

    यदि वे रुपए लाकर नहीं देता है या बैंक खाते में रुपए का ट्रांजैक्शन नहीं करता है तो उसके द्वारा सिक्योरिटी के माध्यम दिए गए चेक को बैंक में भुनने के लिए लगा दिया जाएगा फिर यदि वे चेक बाउंस होता है तो ऐसी स्थिति में उस पर निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के अंतर्गत एक परिवाद के माध्यम से एक आपराधिक कंप्लेंट की जा सकती है। जैसा की विदित है यह धारा चेक बाउंस को अपराध के रूप में प्रस्तुत करती है जहां चेक बाउंस होने पर 2 वर्ष तक के कारावास के दंड का प्रावधान किया गया है।

    अनुबंध (करार)

    उधार का अनुबंध इतना आवश्यक तो नहीं होता है क्योंकि यदि बैंक के माध्यम से ट्रांजैक्शन कर दिया जाए और एक रसीद लिखवा ली जाए तथा एक चेक लिखवा लिया जाए तब यथेष्ट लेख पढ़ हो जाती है परंतु यदि मामले को और अधिक सशक्त करना है तथा धनराशि अधिक है ऐसी स्थिति में उधार लेने वाले व्यक्ति से एक अनुबंध भी लिखवा लेना चाहिए जो कि मिनिमम ₹500 के स्टांप पर होना चाहिए तथा उसकी तस्दीक किसी नोटरी अधिवक्ता से करवाई जा सकती है।

    इस अनुबंध में यह उल्लेख होना चाहिए कि मेरे द्वारा लिया जा रहा उधार एक निश्चित दिनांक को चुकता कर दिया जाएगा तथा यह जो ऋण दिया गया है यह किसी व्यापारिक उद्देश्य से नहीं दिया गया है अर्थात देने वाले का उधार देने लेने का धंधा नहीं है अपितु एक सहायता स्वरूप उसने मुझे ऋण दिया है उसका भुगतान उसके द्वारा चेक के माध्यम से या नगद माध्यम से किया जा सकेगा।

    इस अनुबंध में इन सभी बातों का उल्लेख होना चाहिए इससे उधार देने वाले का मामला अधिक मजबूत हो जाता है तथा उधार की वसूली आसानी से की जा सकती है। यदि व्यक्ति के पास में देने के लिए चेक नहीं है तब उससे अनुबंध लिखवा लिया जाए।

    ऐसा अनुबंध लिखवा लेने के परिणामस्वरूप सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के आदेश 37 के अंतर्गत एक सिविल वाद प्रस्तुत कर उधार ऋण की वसूली की जा सकती है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह सिविल वाद की प्रक्रिया एक संक्षिप्त प्रक्रिया होती है तथा इसे न्यायालय जल्द से जल्द निपटा देता है तथा उधार की वसूली संभव हो जाती है।

    उधार देते समय इन सभी कानूनी बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए इनके बगैर कोई भी बहुत सारे रुपए उधारी के रूप में नहीं दिए जाना चाहिए तथा बगैर चेक लिए या बगैर अनुबंध किए या बगैर रसीद लिखवाए ऐसे उधार नहीं दिया जाना चाहिए।

    यदि इन सभी फॉर्मेलिटी के बगैर कोई उधार दिया गया है तब उस उधार की वसूली नहीं हो सकती है और उधार के लिए किसी न्यायालय में कोई मुकदमा भी नहीं लाया जा सकता है क्योंकि रिकॉर्ड पर कोई साक्ष्य नहीं होते है।

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